मंगलवार, 6 सितंबर 2011

सिर के गंजेपन के लिए अनुभूत प्रयोग

दूब घास(Cynodon
dactylon) के पंचाग (फल,
फूल, जड़, तना, पत्ती) तथा
कनेर के पत्तोँ को पीस कर
कपड़े मेँ रखकर रस निकालेँ
और सिर के गंजे स्थान पर
लगायेँ तो सिर्फ 15 दिनोँ मेँ
ही उस स्थान पर नये बाल
दिखाई देने शुरू हो जाते हैँ।
तथा पूरे सिर मेँ तेल की
तरह इस रस का प्रयोग करेँ
तब सफेद बाल काले होने
लगते हैँ ।

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शनिवार, 3 सितंबर 2011

शादी के बाद बनती है अच्छी सेहत

हर किसी के जीवन में एक
न एक दिन ऐसा पल आता
है जब वह शादी के बंधन में
बंधता है। हालांकि किसी के
जीवन में ये पल जल्दी
आता है, तो किसी के जीवन
में देर में। आप शादी के
बंधन में बंधने के बाद कई
अच्छी बुरी परिस्थितियों से
गुजरते हैं। शोधों से भी यह
बात स्पष्ट हो चुकी है कि
शादी का बंधन पुरूषों को
तंदरूस्त‍ बनाता है और
महिलाओं के मानसिक
स्वास्थ्‍य को बेहतर बनाता
है। हालांकि देर से शादी
करने में भी कोई बुराई
नहीं। आइए जानें शादी से
सेहत कैसे बनती है।



> जाहिर सी बात है कि
यदि कोई आपकी सही
देखभाल और अतिरिक्त
केयर करने वाला मिलेगा
तो आप निश्चिततौर पर
स्वस्थ होंगे।

> शादी का बंधन ऐसा
तोहफा है जिससे आपका
साथी न सिर्फ आपको
भावनात्मक सपोर्ट करता है
बल्कि आपकी इच्छा-
अनिच्छा का भी खास
ख्याल रखता है।

> शोधों में यह बात
सुनिश्चित हो चुकी हैं कि
एक दूसरे की परवाह करने
वाले कपल एकल जीवन
जीने वालों की तुलना में
ज्यादा खुशहाल और स्वस्थ
रहते हैं।

> दरअसल, शादीशुदा
पुरुष इसलिए स्वस्थ रहते
हैं क्योंकि उनकी पत्नियां
उनकी अच्छे से देखरेख
करती है और वहीं दूसरी
और पुरुष महिलाओं को
भावनात्मक रूप से सहारा
देते हैं।

> आमतौर पर कहा जाता है
कि खुशी इंसान को न सिर्फ
हेल्दी जीवन देती है बल्कि
तनावमुक्त रखती है और
प्यार ऐसा भावनात्मक
लगाव है जो अतिरिक्त‍
देखभाल के साथ-साथ
तनावमुक्त भी रखता है।

> हालांकि इसके‍ विपरीत
आपका पार्टनर सही नहीं है
या फिर आपका उससे
संबंध ठीक नहीं है तो इस
बात का प्रभाव आपके
स्वास्थ्‍य पर भी पड़ता है।

> जो लोग विवाह पर
यकीन नहीं रखते यदि वह
इस तथ्य‍ से रूबरू हो जाएं
कि शादी से सेहत बनती है
और इंसान के जीवन की
तत्कालिक परिस्थितियां
बदल जाती हैं तो निश्चित
तौर पर वह शादी में और
रिश्तों में यकीन करने
लगेंगे।

> शादी केवल भौतिक सुख
ही नहीं देती, बल्कि इससे
महिलाओं और पुरूषों को
अपनी जिम्मेदारियों का
अहसास होता है, एक
परिवार को बनाने की खुशी
मिलती है।

> शादी न सिर्फ अच्छी
सेहत बनाती है बल्कि
अकेलेपन को भी दूर करती
है। साथ ही जो लोग
विवाहित होते हैं उनकी
औसत उम्र भी ज्यादा होती
है।

> शादी से व्यक्ति न सिर्फ
सेहतमंद रहता है बल्कि
वैवाहिक जीवन लोगों की
चिंताएं और परेशानियां भी
दूर करता है। दरअसल हर
किसी को हमेशा जीवन में
कोई ऐसा व्यक्ति चाहिए
होता है जिससे वह अपने
मन की बात खुल कर कह
सके। अगर मन में लगातार
कोई चिंता, कोई अवसाद
घिरा रहेगा तो उसका शरीर
पर लगातार बुरा असर
पड़ता है।

शुक्रवार, 19 अगस्त 2011

कैफीन सनस्क्रीन करेगा अब स्किन कैँसर और झुरियोँ से हिफाजत


अब स्किन कैँसर और चेहरे
की झुरियोँ को बाय-बाय
कहने का वक्त आ गया है ।

वैज्ञानिकोँ ने एक ऐसा
सनस्क्रीन बनाने का दावा
किया है जो स्किन कैँसर
और चेहरे की झुरियोँ से
हिफाजत करेगा ।
काँफी मेँ मौजूद कैफीन
स्किन को बिना नुकसान
पहुँचाए अल्ट्रा वायलेट
किरणोँ से क्षतिग्रस्त
कोशिकाओँ को मारने मेँ
मददगार होता है ।

अब कैफीन को सनस्क्रीन
लोशन बनाने मेँ इस्तेमाल
किया जाएगा ।
अध्ययन के मुताबिक स्किन
मेँ एटीआर नामका प्रोटीन
पाया जाता है , जिसमेँ
छेड़छाड़ कर कैफीन त्वचा
की रक्षा करता है ।



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गुरुवार, 18 अगस्त 2011

लहसुन एक चमत्कारी औषधि

लहसुन एक दिव्य औषधि
है । यह हाजमा ठीक करने
के साथ ही गैस को दूर
करता है।

> लहसुन मेँ एंटीसेप्टिक
और एंटीबायोटिक का गुण
भी पाया जाता है। यह टीबी
के कीटाणुओँ को नष्ट कर
देता है।

> दिल के लिए टाँनिक होने
के साथ ही यह खराब
कोलेस्ट्राल को कम करता है।

> इसे पीसकर शहद के
साथ खाने से नर्वस सिस्टम
ठीक रहता है।

> लहसुन का रस शहद
के साथ मिलाकर खायेँ तो
खाँसी दूर भाग जायेगी।

> यदि नीँद न आये तो
इसके दो या तीन जवे खाने
से फायदा मिलेगा।

> लहसुन दमा के इलाज मेँ
काफी कारगर होता है।
50ml. दूध मेँ लहसुन के
पाँच जवोँ को ऊबालकर
सेवन करने से दमे की
शुरूआती अवस्था मेँ अच्छा
फायदा करता है।

> यह आँतोँ से चिपके मल
को भी बाहर निकाल देता
है और कब्ज से मुक्ति दिलाता है।

> यह जोड़ोँ के दर्द या
गठिया मेँ रामबाण है तथा
जोड़ोँ की सूजन को नष्ट
करता है।

> यह शरीर मेँ रक्त की कमी को भी दूर करता है।

> इसके सेवन से रक्त मेँ
थक्का बनने की प्रवृत्ति
काफी कम हो जाती है,
जिससे heart attack का
खतरा टल जाता है।

> यह high blood
pressure मेँ भी काफी
कमी ला देता है।

> लहसुन मेँ कैँसर से लड़ने
की विलक्षण क्षमता पायी
जाती है।

> यह हृदय रोग मेँ सुरक्षा
कवच का काम करता है।



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बुधवार, 17 अगस्त 2011

ग्वारपाठा(घृतकुमारी) पेट तथा स्किन के लिए रामबाण

ग्वारपाठा या
घृतकुमारी(एलोवेरा) को
20gm. मात्रा मेँ लेकर
20ml. पानी के साथ
मिक्सी मेँ जूस बनाकर रख
लेँ। इसी तरह रोजाना ताजा
जूस बनायेँ।


सेवन मात्रा :-
20ml. सुबह खाली पेट
और 20ml. रात को सोते समय।


उपयोग :-
आँतोँ
की सूजन, अपेँडिक्स, खूनी
एवं बादी बवासीर, कब्ज,
फोड़े-फुंसी, कील-मुहासे,
पित्त और कफ की बीमारी ।
एक सप्ताह मेँ ही इन
समस्याओँ मेँ आराम आने
लगता है ।


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सोमवार, 15 अगस्त 2011

चाइनीज कैलेंडर कैसे काम करता है

चाइनीज गर्भावस्था कैलेंडर को बहुत ही ऐतिहासिक माना जाता है
और यह लगभग 700 साल पुराना भी माना जा रहा है ।
हर गर्भवती महिला में इस बात को लेकर भी उत्साह रहता है
कि उसका होने वाला बच्चा लड़का होगा या लड़की। आज चीनी
कैलेंडर का प्रयोग होने वाले बच्चें का लिंग पता करने में किया
जा रहा है। चाइनीज कैलेंडर में यह बात ध्यान में रखी जाती है
कि गर्भधारण के दौरान मां की लूनर एज क्या थी । होने वाले
बच्चे के लिंग का पता करने के लिए यह बहुत ही जानी मानी पद्धति है।



चीनी कैलेंडर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि सबसे पहले बेजिंग
में स्थित विज्ञान संस्थान में इसकी खोज हुई। कुछ लोगों का
कहना है कि यह चार्ट पेकिंग के पास टांब में मिला और अब
यह पेकिंग के विज्ञान संग्रहालय में रखा गया है। बहुत सी
वेबसाइट्स ने माना है कि यह लगभग होने वाले बच्चे का
90 प्रतिशत तक सही लिंग बताता है।


चीनी लूनर एज और महीने



इस चार्ट का इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले तो आपको
गर्भवती महिला की सही उम्र का पता होना चाहिए। लेकिन
यह उम्र चाइनीज़ लूनर महीने के अनुसार ही होनी चाहिए।
आनलाइन टूल की मदद से आप चाइनीज़ लूनर महीने का
पता लगा सकते हैं।

अगर आप 1 जनवरी और 20 फरवरी के बीच पैदा हुई हैं,
तो अपने जन्म की सही तारीख के अलावा अपनी
वास्तविक उम्र को भी लिखें ।
अगर आपका जन्म 21 फरवरी या 31 दिसंबर के बीच
हुआ है, इस तारीख के अलावा अपनी वास्तविक उम्र
में एक साल और जोड़ लें ।
इसके बाद आपको गर्भधारण के सही समय का पता
लगाना है और वह भी चीनी कैलेंडर के अनुसार ही होगा।


चीनी कैलेंडर का प्रयोग

एक बार आपने अपनी चाइनीज़ लूनर एज और गर्भधारण
का समय निकाल लिया है, तो अब आप इस कैलेंडर के
प्रयोग से बच्चे का लिंग पता कर सकते हैं।

चाइनीज प्रेग्नेंसी कैलेंडर में बायीं तरफ दिये गये अंक
गर्भधारण के समय मांस की उम्र बताते हैं।
चाइनीज कैलेंडर में सबसे ऊपर दी गई तारीख यह
दर्शाती है कि गर्भधारण कब हुआ।
कैलेंडर में मां की उम्र और गर्भधारण की तारीख देखते
हुए आप जब उस स्थान पर पहुंचते हैं जहां कि दोनों लाइनें
मिलती हैं, वही स्थान बच्चे का लिंग दर्शाता है।

>> "बच्चे का लिँग जानने के लिए यहाँ क्लिक करेँ "



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शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

दिल का अब कुछ नहीँ बिगाड़ेगा दौरा


दिल के दौरे या स्ट्रोक से
दिलोदिमाग के टिश्यु को
होने वाले नुकसान को अब
काफी हद तक रोका जा
सकेगा ।

Scientists ने ऐसी दवा
खोजने का दावा किया है ,
जिसे समय रहते देने पर
टिश्यु को होने वाले नुकसान
को 60 प्रतिशत तक रोका
जा सकेगा । इस दवा का
इस्तेमाल ऐसी सर्जरी के
दौरान भी किया जा सकेगा,
जिसमेँ टिश्युज को ज्यादा
नुकसान हो सकता है ।

दिल का दौरा या स्ट्रोक
पड़ने पर दिल या दिमाग
के टिश्युज को आँक्सीजन
और पोषक तत्वोँ की
सप्लाई रूक जाती है ।
इससे टिश्युज क्षतिग्रस्त
होने लगते हैँ । इन पर कहर
तब टूटता है , जब दवाओँ
आदि के जरिए खून की
सप्लाई को बहाल किया
जाता है । इसके बहाल होते
ही शरीर की प्रतिरक्षण
प्रणाली इन क्षतिग्रस्त
टिश्युज को 'दुश्मन' मानते
हुए इन पर टूट पड़ती है।
इसके कारण स्ट्रोक या दिल
के दौरे से दिमाग और दिल
को कई बार स्थायी नुकसान
पहुँच जाता है। दिल और
दिमाग के सेल्स को इन हालात मेँ बचाना डाँक्टरोँ
के लिए एक बड़ी चुनौती
हैँ।

International scientists की टीम ने एक
अर्से की मेहनत के बाद एक
एंजाइम का पता लगाया ,
जो स्ट्रोक या दौरे के बाद
क्षतिग्रस्त टिश्युज पर
प्रतिरक्षण प्रणाली के हमले
मेँ मुख्य भूमिका निभाता है।
फिर इस एंजाइम को
जरूरत के समय निष्क्रिय
या कम सक्रिय करने के
लिए एक ऐसे रोग
प्रतिरोधी एंटीबाँडी का विकास किया गया

उमस और गर्मी से आँखेँ बीमार



आमतौर पर अगस्त के
महिने से कंजंटिवाइटिस
का संक्रमण शुरू हो जाता
है । दरअसल , इस महिने
मेँ बारिश और उमस के
चलते बैक्टीरिया-वायरस
का संक्रमण बढ़ जाता है ।
यही वजह है कि लोगोँ की
आँखेँ भी बीमार होने लगती
हैँ ।

यह बीमारी एक मरीज से
दूसरे व्यक्ति को आसानी से
संक्रमित करती है । इसलिए
संक्रमित मरीज से दूरी बनाए रखेँ ।

ये बैक्टीरिया हैँ जिम्मेदार :-

> नाइसीरिया गोनोरिया

> स्टेफ्लोकोकस

> स्टेपटोकोकस


लक्षण (Symtoms) :-


* आँखोँ मेँ दर्द ।

* आँखोँ मेँ गुलाबी या
लालीपन ।

* आँखोँ से पानी बहना ।

* धुंधला दिखाई देना ।

* आँखेँ चिपकती हैँ ।

* वायरल संक्रमण मेँ
आँखो के कंजंटाइवा मेँ
रक्त के थक्के जम सकते
हैँ ।

* वायरल कंजंटिवाइटिस
मेँ गले मेँ संक्रमण हो
सकता है औय मरीजोँ को
बुखार होने के साथ सिर
मेँ दर्द भी होता हैँ ।


बचाव (Prevention) :-


* ठंडे पानी से आँखे धोएं ।

* संक्रमित व्यक्ति से दूर
रहेँ ।

* एंटीबायोटिक दवा
डाँक्टर की सलाह पर
लेँ।

* संक्रमित व्यक्ति के कपड़े
या रूमाल का इस्तेमाल
न करेँ ।

* तेज रोशनी से बचेँ ।


चश्मे का इस्तेमाल करेँ

> आई फ्लू के दौरान चश्मा
खुद की आँखोँ मेँ धूल ,
गंदगी जाने से बचाने के
अलावा दूसरोँ को भी
संक्रमण से बचाता है ।

> धूप और चमक से बचाव
मेँ भी चश्मा उपयोगी है।

> चश्मे की स्वच्छता का
भी ध्यान रखेँ । चश्मेँ को
उतारने के बाद स्वच्छ
कपड़े से साफ जरूर कर
लेँ ।


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