सियाटिका नर्व (नाड़ी) शरीर की सबसे लंबी नर्व होती है। यह नर्व कमर की हड्डी से गुजरकर जांघ के पिछले भाग से होती हुई पैरोँ के पिछले हिस्से मेँ जाती है। जब दर्द इसके रास्ते से होकर गुजरता है, तब ही यह सियाटिका का दर्द कहलाता है। होलिस्टिक मेडिसिन के तहत इस मर्ज का स्थायी समाधान संभव है।
लक्षण
* कमर के निचले हिस्से मेँ दर्द के साथ जाँघ व टांग के पिछले हिस्से मेँ दर्द।
* पैरोँ मेँ सुन्नपन के साथ मांसपेशियोँ मेँ कमजोरी का अनुभव।
* पंजोँ मेँ सुन्नपन व झनझनाहट।
बचाव
* प्रतिदिन सामान्य व्यायाम करेँ।
* वजन नियंत्रण मेँ रखेँ।
* पौष्टिक आहार ग्रहण करेँ।
* रीढ़ की हड्डी को चलने-फिरने और उठते-बैठते समय सीधा रखेँ।
* भारी वजन न उठाएं।
होलिस्टिक समाधान
सामान्य रूप से यदि मरीज की उम्र बहुत अधिक नहीँ है, तो इस बीमारी को ठीक करना आसान होता है। मर्ज के शुरूआती दौर मेँ गर्म पैक, आराम और दर्दनाशक गोली का सेवन उपयोगी है।
डीप हीट थेरैपी
बीमारी पुरानी होने पर यह थेरैपी लाभप्रद है। इसके तहत गर्म पानी के प्रयोग से या अरंडी के तेल का गर्म पैक लगाने से मांसपेशियां शिथिल होती हैँ।
काइरोप्रैक्टिक चिकित्सा
मांसपेशियोँ के शिथिल होने पर व्यायाम करना जरूरी होता है। इससे विभिन्न स्थितियोँ मेँ मरीज का शरीर सुचारू रूप से गति करता है। इस प्रक्रिया से नर्व पर दबाव समाप्त हो जाता है और धीरे-धीरे दर्द जाता रहता है।
रीढ़ की कसरत
नर्व पर दबाव समाप्त होने पर रीढ़ की हड्डी के व्यायाम मांसपेशियोँ को मजबूत बनाते हैँ। इससे बीमारी के पुनः होने की संभावना समाप्त हो जाती है।
पोषक तत्व
आहार मेँ विटामिन सी, ई, बीटा कैरोटिन (हरी सब्जियोँ व फलोँ मेँ) और कैल्शियम का सेवन उपयोगी है। कैल्शियम दूध मेँ पर्याप्त मात्रा मेँ पाया जाता है। इसी तरह कान्ड्राइटिन सल्फेट व ग्लूकोसामीन (इन पोषक तत्वोँ की गोलियाँ दवा की दुकानोँ पर उपलब्ध हैँ) का सेवन भी लाभप्रद है। वहीँ आइसोफ्लेवान (सोयाबीन मेँ मिलता है) और विटामिन बी12 (बन्दगोभी व ऐलोवेरा मेँ) आदि का पर्याप्त मात्रा मेँ प्रयोग करने से ऊतकोँ (टिश्यूज) का पुःन निर्माण होता है।
परिणाम
मरीज की उम्र यदि बहुत अधिक नहीँ है और उसकी डिस्क कई हिस्सोँ मेँ टूटी नहीँ है, तो उपर्युक्त चिकित्सा औसतन 2 से 3 महिने मेँ आश्चर्यजनक परिणाम देती है।