आज भी मॉर्डन जीवन शैली
मेँ जल्दी बुढ़ापा आने का
मतलब है कि शारीरिक
और मानसिक तौर पर
जल्दी कमजोर हो जाना।
दरअसल बढ़ती उम्र हमेँ
जीवन के आखिरी पड़ाव
बुढ़ापा या वृद्वावस्था तक
पहुँचाता है।
वृद्वावस्था वह अवस्था
होती है जब शरीर की सुनने
, देखने, बोलने, सूंघने, जीभ
, त्वचा, मानसिक क्षमता का
काम करने की योग्यता
क्षीण होने लगती है लेकिन
मॉर्डन जमाने मेँ यह
अवस्था जल्द ही इंसान को
अपने वश मेँ करने लगती
है।
जल्दी वृद्वावस्था आने के
कारण :-
> भागती-दौड़ती जीवन शैली,
> गलत खाने की आदतेँ,
> शराब व तंबाकू का सेवन।
रोकथाम के उपाय:-
> रोजमर्रा जीवन मेँ योगा
व आयुर्वेद का उपयोग करना।
> स्वादोँ 'मीठा, खट्टा, कड़वा, तीखा, नमकीन' का
संतुलित सेवन करना।
> कैलोरी के सेवन व खपत
मेँ सामंजस्य।
> नपा-तुला आहार लेना।
> तेल से शरीर की मालिश
करना ताकि शरीर मेँ लोच
रहे।
> नियमित व्यायाम, ध्यान
तथा सकारात्मक सोच।
> पढ़ना, संगीत सुनना व
हर वह काम करना जिससे
आपको खुशी मिले।
प्राकृतिक नियम :-
> शुरूआती उम्र मेँ ही प्राणायाम करने से फेफड़े
मजबूत बनते हैँ।
> हंसना लम्बे जीवन के
लिए बहुत कारगर है।
> बालोँ को गर्म पानी व धूप
से बचना चाहिए ताकि
बाल जल्दी सफेद न होँ।
> सीजन के फल व
सब्जियोँ का सेवन अवश्य करेँ।
उदाहरण :- सर्दियोँ मेँ
आंवला, गर्मी मेँ नीँबू व
लंच के दौरान बटरमिल्क
लेना।
> जीवन मेँ पौष्टिक आहार
का बेहद महत्व है। निम्न
रसायनोँ का इस्तेमाल
करना चाहिए। बाल्यावस्था
मेँ- बाला व अतिबाला,
बीच की उम्र मेँ-अर्जुन,
युवावस्था मेँ -आमलकी,
सभी उम्र के लिए -तुलसी।
> हमारा शरीर 30 वर्षो की
उम्र तक शत-प्रतिशत
उर्जावान हो जाता है।
55 वर्ष की उम्र मेँ हृदय की
क्षमता 20 प्रतिशत तक कम
हो जाती है। 55 की उम्र मेँ
गुर्दोँ की क्षमता 25 प्रतिशत
घट जाती है। इसलिए
पौष्टिक आहार व व्यायाम
से हम उम्र को मात दे सकते हैँ।