आमतौर पर अगस्त के
महिने से कंजंटिवाइटिस
का संक्रमण शुरू हो जाता
है । दरअसल , इस महिने
मेँ बारिश और उमस के
चलते बैक्टीरिया-वायरस
का संक्रमण बढ़ जाता है ।
यही वजह है कि लोगोँ की
आँखेँ भी बीमार होने लगती
हैँ ।
यह बीमारी एक मरीज से
दूसरे व्यक्ति को आसानी से
संक्रमित करती है । इसलिए
संक्रमित मरीज से दूरी बनाए रखेँ ।
ये बैक्टीरिया हैँ जिम्मेदार :-
> नाइसीरिया गोनोरिया
> स्टेफ्लोकोकस
> स्टेपटोकोकस
लक्षण (Symtoms) :-
* आँखोँ मेँ दर्द ।
* आँखोँ मेँ गुलाबी या
लालीपन ।
* आँखोँ से पानी बहना ।
* धुंधला दिखाई देना ।
* आँखेँ चिपकती हैँ ।
* वायरल संक्रमण मेँ
आँखो के कंजंटाइवा मेँ
रक्त के थक्के जम सकते
हैँ ।
* वायरल कंजंटिवाइटिस
मेँ गले मेँ संक्रमण हो
सकता है औय मरीजोँ को
बुखार होने के साथ सिर
मेँ दर्द भी होता हैँ ।
बचाव (Prevention) :-
* ठंडे पानी से आँखे धोएं ।
* संक्रमित व्यक्ति से दूर
रहेँ ।
* एंटीबायोटिक दवा
डाँक्टर की सलाह पर
लेँ।
* संक्रमित व्यक्ति के कपड़े
या रूमाल का इस्तेमाल
न करेँ ।
* तेज रोशनी से बचेँ ।
चश्मे का इस्तेमाल करेँ
> आई फ्लू के दौरान चश्मा
खुद की आँखोँ मेँ धूल ,
गंदगी जाने से बचाने के
अलावा दूसरोँ को भी
संक्रमण से बचाता है ।
> धूप और चमक से बचाव
मेँ भी चश्मा उपयोगी है।
> चश्मे की स्वच्छता का
भी ध्यान रखेँ । चश्मेँ को
उतारने के बाद स्वच्छ
कपड़े से साफ जरूर कर
लेँ ।
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मैं गेहूं हूँ
-
लेखक डॉ. ओ.पी.वर्मा
मैं किसी पहचान का नहीं हूं मोहताज
मेरा नाम गेहूँ है, मैं भोजन का हूँ सरताज
अडानी, अंबानी को रखता हूँ मुट्ठी में
टाटा, बिरला दौड़े आ...
3 वर्ष पहले
1 comments:
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