मंगलवार, 17 जून 2014

केवल चार घंटे का जीवन है दिल का।

दिल को सिर्फ 4 घंटे तक ही सुरक्षित रख सकते हैं। इसे जितनी जल्दी मरीज के शरीर में ट्रांसप्लांट कर दिया जाए,उतने ही ऑपरेशन के सफल होने की संभावना बढ़ जाती है।

रविवार, 2 मार्च 2014

अब खून की जाँच से ही पता चल सकेगा कैंसर (ट्यूमर) का।

न्यूयॉर्क/ भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक रघु कल्लुरी द्वारा किए गए शोध में पता चला है कि खून की सामान्य जांच से ही अग्न्याशय कैंसर के बारे में पता लगाया जा सकता है।

यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के एमडी एंडरसन डिपार्टमेंट ऑफ कैंसर बायोलॉजी में प्राफेसर कल्लुरी ने बताया। इस शोध से डॉक्टरों को खून की जांच से ही कैंसर का पता लगाने और उसके इलाज में मदद मिलेगी।

हमारा मानना है कि खून के नमूने से लिए गए एक्सोसोम (छोटे कण) डीएनए के विश्लेषण से शरीर में किसी भी स्थान पर कैंसर ट्यूमर के बारे में पता लगाया जा सकता है। इससे शरीर में होने वाले बदलाव के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए ट्यूमर के सैंपल की जरूरत नहीं पड़ेगी।

इससे प्रारंभिक चरण में कैंसर का पता लगाने की हमारी क्षमता में वृद्धि होगी और इस बीमारी के प्रभावी इलाज की संभावना बढ़ जाएगी।' उनके मुताबिक वर्तमान समय में खून की वैसी कोई जांच उपलब्ध नहीं है जिसके आधार पर कैंसर संबंधी डीएनए विकृति का पता लगाया जा सके। यह अध्ययन जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल केमिस्ट्री में प्रकाशित हुआ है।

वहीं अमेरिका में केंटुकी स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ लूसविले के शोधकर्ताओं ने भी खून की जांच से सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने संबंधी खोज की बात कही है। उनका कहना है कि खून की जांच से यह भी पता लगाया जा सकता है कि सर्वाइकल कैंसर किस चरण में है। खबर कैसी लगी

शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2014

अंडे की जर्दी खाइये और बच्चे पैदा करने की क्षमता बढाइये।

अंडे के फायदों को लेकर तो आपने बहुत कुछ सुना होगा लेकिन इसकी पीली जर्दी का यह फायदा बच्चे की चाहत रखने वाले प्रत्येक दम्पति को जानना चाहिए। है

न्यूयॉर्क पोस्ट में प्रकाशित खबर के अनुसार अंडे का पीला भाग और सोया तेल के सेवन से तीन बार आईवीएफ ट्रीटमेंट में नाकाम हो चुकी दंपत्ति को बच्चा हुआ है। ब्रिटिश दंपत्ति मार्क और सुजैन हार्पर ने कई बार गर्भपात और तीन बार आईवीएफ ट्रीटमेंट में असफलता के बाद डॉक्टरी परामर्श पर अंडे की जर्दी और सोया तेल के मिश्रण का सेवन शुरू किया और इससे उन्हें गर्भ धारण में सफलता भी मिली।

ब्रिटेन के केयर फर्टिलिटी नोटिंघम के फर्टिलिटी विशेषज्ञों की मानें तो इन दोनों में मौजूद फैटी एसिड की वजह से सुजैन को गर्भ धारण करने में आसानी मिली और वह इस तकनीक से प्रजनन करने वाली पहली महिला हैं। विशेषज्ञ अब इस विधि से गर्भधारण की प्रक्रिया और इससे संबंधित प्रभावों पर शोध कर रहे हैं पर इतना निश्चित है कि अंडे का सेवन फर्टिलिटी के लिहाज से बेहतर विकल्प हो सकता है।

सोमवार, 27 जनवरी 2014

अब बदल पाएंगे अपनी आँखों के रंग को।

रंगीन कॉन्टेक्ट लेंस युवा पीढ़ी के बीच काफी लोकप्रिय हो गए हैं। 25 वर्षीय फैशन मॉडल पुनीत शर्मा, जब स्कूल में पढ़ रहे थे, तभी उन्हें नीली आंखों के प्रति आकर्षण हो गया था। शर्मा कहते हैं, जब मैं 15 साल का था, तभी से कॉन्टेक्ट लेंस का इस्तेमाल करता आ रहा हूं, लेकिन बाद में मेरी आंखों में संक्रमण होना शुरू हो गया।

मेरे माता- पिता भी मुझे कॉन्टेक्ट लेंस से छुटकारा दिलाना चाहते थे, क्योंकि मेरी आंखों की समस्याओं के कारण वे बार- बार नेत्ररोग विशेषज्ञ के पास जाकर थक चुके थे। पुनीत ने मुझसे मुलाकात की। मैंने कृत्रिम आईरिस इंप्लांटेशन किया। सर्जरी के लिए उपयुक्त पाये जाने से पहले उन्हें कई प्रकार के परीक्षण कराने को कहा गया। प्रत्येक आंख की सर्जरी में 10 मिनट का समय लगा और और 6 से 7 घंटे तक स्वास्थ्य लाभ करने के बाद उन्हें अपनी पसंदीदा नीली आंखों के साथ घर जाने के लिए कह दिया गया।

प्राकृतिक रंग का निर्धारण:- किसी भी व्यक्ति की आंखों का प्राकृतिक रंग मेलानिन की मात्रा, रक्त वाहिकाओं के नेटवर्क और आंख में टिश्यूज की बनावट से निर्धारित होता है। सालों से नेत्र विशेषज्ञ ऐसे लोगों को जो अपनी आंखों का रंग बदलना चाहते हैं, उन्हें रंगीन कॉन्टेक्ट लेंस लगाने की सलाह देते रहे हैं, लेकिन अब कृत्रिम आईरिस इंप्लांटेशन सर्जरी के जरिये आंखों का रंग स्थायी रूप से बदला जा सकता है।

सजगता बरतना जरूरी:- कलर्ड या रंगीन कॉन्टेक्ट लेंस सिर्फ अलग-अलग रंग के साथ आंखों का रंग बदल देते हैं, लेकिन लंबे समय तक इन लेंसों के पहनने पर कॉर्निया (नेत्रगोलक की ऊपरी पर्त) में खुजली, कॉर्निया में संक्रमण या अल्सर, कन्जंक्टिवाइटिस और दृष्टि में कमी जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं, लेकिन नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लेकर कॉन्टेक्ट लेंस के बारे में कुछ सजगताएं बरतकर काफी हद तक इन समस्याओं को दूर किया जा सकता है।

सर्जिकल प्रक्रिया:- डॉक्टर, प्राकृतिक आईरिस (आंख का वह भाग जिसमें रंग होता है और जो आपकी आंखों के प्राकृतिक रंग को निर्धारित करता है) पर कृत्रिम आईरिस का इंप्लांटेशन कर देते हैं। इस सर्जरी को सिर्फ प्रशिक्षित आई सर्जन ही अंजाम देते हैं।

(डॉ.शिबू वार्की आई सर्जन, नई दिल्ली)

 
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