रंगीन कॉन्टेक्ट लेंस युवा पीढ़ी के बीच काफी लोकप्रिय हो गए हैं। 25 वर्षीय फैशन मॉडल पुनीत शर्मा, जब स्कूल में पढ़ रहे थे, तभी उन्हें नीली आंखों के प्रति आकर्षण हो गया था। शर्मा कहते हैं, जब मैं 15 साल का था, तभी से कॉन्टेक्ट लेंस का इस्तेमाल करता आ रहा हूं, लेकिन बाद में मेरी आंखों में संक्रमण होना शुरू हो गया।
मेरे माता- पिता भी मुझे कॉन्टेक्ट लेंस से छुटकारा दिलाना चाहते थे, क्योंकि मेरी आंखों की समस्याओं के कारण वे बार- बार नेत्ररोग विशेषज्ञ के पास जाकर थक चुके थे। पुनीत ने मुझसे मुलाकात की। मैंने कृत्रिम आईरिस इंप्लांटेशन किया। सर्जरी के लिए उपयुक्त पाये जाने से पहले उन्हें कई प्रकार के परीक्षण कराने को कहा गया। प्रत्येक आंख की सर्जरी में 10 मिनट का समय लगा और और 6 से 7 घंटे तक स्वास्थ्य लाभ करने के बाद उन्हें अपनी पसंदीदा नीली आंखों के साथ घर जाने के लिए कह दिया गया।
प्राकृतिक रंग का निर्धारण:- किसी भी व्यक्ति की आंखों का प्राकृतिक रंग मेलानिन की मात्रा, रक्त वाहिकाओं के नेटवर्क और आंख में टिश्यूज की बनावट से निर्धारित होता है। सालों से नेत्र विशेषज्ञ ऐसे लोगों को जो अपनी आंखों का रंग बदलना चाहते हैं, उन्हें रंगीन कॉन्टेक्ट लेंस लगाने की सलाह देते रहे हैं, लेकिन अब कृत्रिम आईरिस इंप्लांटेशन सर्जरी के जरिये आंखों का रंग स्थायी रूप से बदला जा सकता है।
सजगता बरतना जरूरी:- कलर्ड या रंगीन कॉन्टेक्ट लेंस सिर्फ अलग-अलग रंग के साथ आंखों का रंग बदल देते हैं, लेकिन लंबे समय तक इन लेंसों के पहनने पर कॉर्निया (नेत्रगोलक की ऊपरी पर्त) में खुजली, कॉर्निया में संक्रमण या अल्सर, कन्जंक्टिवाइटिस और दृष्टि में कमी जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं, लेकिन नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लेकर कॉन्टेक्ट लेंस के बारे में कुछ सजगताएं बरतकर काफी हद तक इन समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
सर्जिकल प्रक्रिया:- डॉक्टर, प्राकृतिक आईरिस (आंख का वह भाग जिसमें रंग होता है और जो आपकी आंखों के प्राकृतिक रंग को निर्धारित करता है) पर कृत्रिम आईरिस का इंप्लांटेशन कर देते हैं। इस सर्जरी को सिर्फ प्रशिक्षित आई सर्जन ही अंजाम देते हैं।
(डॉ.शिबू वार्की आई सर्जन, नई दिल्ली)
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