शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

उमस और गर्मी से आँखेँ बीमार

आमतौर पर अगस्त के महिने से कंजंटिवाइटिस का संक्रमण शुरू हो जाता है । दरअसल , इस महिने मेँ बारिश और उमस के चलते बैक्टीरिया-वायरस का संक्रमण बढ़ जाता है । यही वजह है कि लोगोँ की आँखेँ भी बीमार होने लगती हैँ । यह बीमारी एक मरीज से दूसरे व्यक्ति को आसानी से संक्रमित करती है । इसलिए संक्रमित मरीज से दूरी बनाए रखेँ । ये बैक्टीरिया हैँ जिम्मेदार :- > नाइसीरिया गोनोरिया > स्टेफ्लोकोकस > स्टेपटोकोकस लक्षण (Symtoms) :- * आँखोँ मेँ दर्द । * आँखोँ मेँ गुलाबी या लालीपन । * आँखोँ से पानी बहना । * धुंधला दिखाई देना । * आँखेँ चिपकती हैँ । * वायरल संक्रमण मेँ आँखो के कंजंटाइवा मेँ रक्त के थक्के जम सकते हैँ । *...

मंगलवार, 2 अगस्त 2011

क्या आप जानते है कि बच्चोँ के दाँत मोती जैसे कैसे निकलेँगे ?

क्या आप जानती हैँ कि गर्भावस्था के दौरान आपकी डाईट भी बच्चे के दाँत को प्रभावित करती है ? मोती जैसे चमकते दाँत जहाँ आपके मुखड़े की खूबसूरती मेँ चार चाँद लगाते हैँ , वहीँ उसे तंदरूस्त भी रखते हैँ । दाँत सिर्फ भोजन को चबाकर आसानी से पचाने लायक ही नहीँ बनाते हैँ बल्कि शब्दोँ से सही उच्चारण और चेहरे की खूबसूरती के लिए भी जिम्मेदार होते हैँ । बच्चे का दाँत कैसा होगा , इसके लिए सिर्फ उसका आहार ही जिम्मेदार नहीँ है , बल्कि आप भी जिम्मेदार हैँ । अगर अपनी गर्भावस्था के दौरान कैल्शियम युक्त खाना खाया है तो आपके बच्चे के दाँत भी खूबसूरत और हेल्दी निकलेँगे । गर्भावस्था मेँ माँ का आहार आने वाले बच्चे के दाँतोँ पर असर डालता है । दाँत बनने की प्रक्रिया...

बुधवार, 27 जुलाई 2011

मूंछोँ से हो सकती है एलर्जी

मूंछेँ मर्दोँ की शान होती हैँ , लेकिन ऐसी शान जो जान पर भारी पड़ जाए उसका भला आप क्या करेंगे । यदि आप किसी तरह की एलर्जी से परेशान रहते हैँ तो दाढ़ी या फिर मूंछ रखने से पहले आपको सोचना पड़ेगा । एक अध्ययन के मुताबिक मूंछ रखने वाले लोग सांस सम्बन्धी एलर्जी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैँ । यदि बार-बार सर्दी-जुकाम , नाक बंद होने , गले मे खराश अथवा सिर दर्द से आप ग्रस्त हो जाते हैँ तो इसका एक कारण आपकी मूंछ भी हो सकती हैँ । मूंछ के बालोँ मेँ मिट्टी फंस जाती है , जिसे एलर्जी होती है । -: MY OTHER BLOGS :- > SANSAR(Ghazals) > प्रेरक-विचार > बचत और निवेश ...

रविवार, 24 जुलाई 2011

इग्नेशिया (IGNATIA)

परिचय :- इग्नेशिया औषधि बच्चों के रोग तथा स्त्रियों में उत्पन्न होने वाले हिस्टीरिया रोग में अत्यन्त लाभकारी होती है। यह औषधि विशेष रूप से उन स्त्रियों के हिस्टीरिया रोग में अधिक लाभकारी होती है जो सुशील, अधिक कार्य करने वाली तथा नाजुक होती हैं। हिस्टीरिया रोग स्त्री में उत्पन्न होने वाले ऐसे रोग हैं जिसे समझ पाना अत्यन्त कठिन है। हिस्टीरिया रोग ऐसी स्त्रियों में होता है जो अधिक संवेदनशील रहती है, बात-बात पर उत्तेजित हो जाती हैं, जिनका रंग सांवला व स्वभाव कोमल होता है, जिनकी बुद्धि तेज होती है तथा किसी बात को आसानी से समझ लेती है। मानसिक या शारीरिक विकास में रुकावट पैदा होने के साथ स्वभाव परिवर्तन। हर बातों का विरोध करना। चलाक, स्नायविक, ‘शंकालु, कठोर, कंपायमान जो मानसिक अथवा शारीरिक रूप से बुरी तरह पीड़ित रहती है तथा कॉफी पीने से रोग में आराम मिलता है। उपरस्थि (सुपरफिसीयल)...

रविवार, 17 जुलाई 2011

रोगों के अनुसार अलसी का सेवन करें

सुपर फुड अलसी में ओमेगा थ्री व सबसे अधिक फाइबर होता है। यह डब्लयू एच ओ ने इसे सुपर फुड माना है। यह रोगों के उपचार में लाभप्रद है। लेकिन इसका सेवन अलग-अलग बीमारी में अलग-अलग तरह से किया जाता है। स्वस्थ व्यक्ति को रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच अलसी का पाउडर पानी के साथ ,सब्जी, दाल या सलाद मंे मिलाकर लेना चाहिए । अलसी के पाउडर को ज्यूस, दूध या दही में मिलाकर भी लिया जा सकता है। इसकी मात्रा 30 से 60 ग्राम प्रतिदिन तक ली जा सकती है। 100-500 ग्राम अलसी को मिक्सर में दरदरा पीस कर किसी एयर टाइट डिब्बे में भर कर रख लें। अलसी को अधिक मात्रा मंे पीस कर न रखें, यह पाउडर के रूप में खराब होने लगती है। सात दिन से ज्यादा पुराना पीसा हुआ पाउडर प्रयोग न करें। इसको एक साथ पीसने से तिलहन होने के कारण खराब हो जाता है। खाँसी होने पर अलसी की चाय पीएं। पानी को उबालकर उसमें अलसी पाउडर मिलाकर चाय तैयार करें। एक चम्मच अलसी...

अलसी में सेक्स समस्या का समाधान

फ्लैक्सीड या अलसी की मदद से सेक्स से जुड़ी समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। महिलाओं व पुरूषों में सेक्सुअली सक्षम न हो पाने का एक प्रमुख कारण है पेल्विस की रक्त वाहिनियों में रक्त का सही तरीके से प्रवाह न होना। फ्लैक्सीड के लगातार प्रयोग से रक्त वाहिनियां खुल जाती हैं। नब्बे के दशक में फ्लैक्सीड को एक अच्छा एफरोडाइसियेक्स माना जाता था एफरोडाइसियेक्स उत्तेजित करने वाले प्राकृतिक पदार्थ होते हैं। पिछले कुछ दशकों से किसी भी बीमारी के प्राकृतिक तरीके से उपचार पर ज़्यादा जोर दिया जा रहा है, जिसके लिए जड़ी बूटियों व पौधों की मदद से उपचार के तरीकों को अपनाया जा रहा है। फ्लैक्सीड के प्रयोग से भी बहुत सी बीमारियों का उपचार खोजा जा रहा है। सेक्स...

रविवार, 19 जून 2011

स्‍त्री से हार जाता है पुरुष

स्‍त्री का मन पुरुषों के तन को निष्क्रिय कर देता है। कहने का तात्‍पर्य यह है कि स्त्रियों की भावुकता, उनके आंसू पुरुषों के संभोगेच्‍छा को मार डालती है। महिलाएँ भले ही पुरुषों से अपनी बात मनवाने के लिए आसुओं को अपना हथियार मानती हों लेकर उनका यह हथियार उलटवार भी कर सकता है। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है महिलाओं के आंसू पुरुषों में सेक्स की इच्छा को कम करते हैं। इसराइल के विज़मान संस्थान के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया है कि महिलाओं के आँसुओं में ऐसे रसायन होते हैं जो पुरुषों में कामोत्तेजना को कम करते हैं। संस्थान से जुड़े प्रोफेसर नोआम सोबेल ने बीबीसी को बताया कि महिलाओं के आँसुओं का यह रसायन कामोत्तेजना से जुड़े हारमोन ‘टेस्टोसटेरॉन’ को कम करता है और उनके मस्तिष्‍क में सेक्स के प्रति रुचि को कम करता है। टेस्टोसटेरॉन इस शोध के दौरान अनुसंधानकर्ताओं ने रोने के दौरान महिलाओं के आँसुओं को इकट्ठा...

अण्डॆ(Ovam) के निर्माण काल में बदल जाता है बेटियों का व्यवहार

यदि आपकी 18 से 22 साल की बेटी हर महीने किसी खास पीरियड में आपसे बात करने से कतराए तो समझ जाइए कि उस समय वह प्रजनन(हाई फटार्इल पीरीयड) के उच्च स्तर पर है। यानी उस अवधि में उसके अंदर अंडा निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। वह उस अवधि में आकर्षक दिखने के लिए सलीके से कपड़े पहनेगी, सजेगी-संवरेगी, लेकिन अपने पापा से बात करने से झिझकेगी। उसकी मस्‍ती सीमित हो जाती है और वह एकांत पसंद करती है।                                                                   इस अवधि में उसकी आवाज...

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