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रविवार, 17 जुलाई 2011

रोगों के अनुसार अलसी का सेवन करें

सुपर फुड अलसी में ओमेगा थ्री व सबसे अधिक फाइबर होता है। यह डब्लयू एच ओ ने इसे सुपर फुड माना है। यह रोगों के उपचार में लाभप्रद है। लेकिन इसका सेवन अलग-अलग बीमारी में अलग-अलग तरह से किया जाता है।

स्वस्थ व्यक्ति को रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच अलसी का पाउडर पानी के साथ ,सब्जी, दाल या सलाद मंे मिलाकर लेना चाहिए । अलसी के पाउडर को ज्यूस, दूध या दही में मिलाकर भी लिया जा सकता है। इसकी मात्रा 30 से 60 ग्राम प्रतिदिन तक ली जा सकती है। 100-500 ग्राम अलसी को मिक्सर में दरदरा पीस कर किसी एयर टाइट डिब्बे में भर कर रख लें। अलसी को अधिक मात्रा मंे पीस कर न रखें, यह पाउडर के रूप में खराब होने लगती है। सात दिन से ज्यादा पुराना पीसा हुआ पाउडर प्रयोग न करें। इसको एक साथ पीसने से तिलहन होने के कारण खराब हो जाता है।

खाँसी होने पर अलसी की चाय पीएं। पानी को उबालकर उसमें अलसी पाउडर मिलाकर चाय तैयार करें। एक चम्मच अलसी पावडर को दो कप (360 मिलीलीटर) पानी में तब तक धीमी आँच पर पकाएँ जब तक यह पानी एक कप न रह जाए। थोड़ा ठंडा होने पर शहद, गुड़ या शकर मिलाकर पीएँ। सर्दी, खाँसी, जुकाम, दमा आदि में यह चाय दिन में दो-तीन बार सेवन की जा सकती है। दमा रोगी एक चम्मच अलसी के पाउडर को आधा गिलास पानी में 12 घंटे तक भिगो दे और उसको सुबह-शाम छानकर सेवन करे तो काफी लाभ होता है। गिलास काँच या चाँदी का होना चाहिए।
समान मात्रा में अलसी पाउडर, शहद, खोपराचूरा, मिल्क पाउडर व सूखे मेवे मिलाकर नील मधु तैयार करें। कमजोरी में व बच्चों के स्वास्थ्य के लिए नील मधु उपयोगी है।

डायबीटिज के मरीज को आटा गुन्धते वक्त प्रति व्यक्ति 25 ग्राम अलसी काँफी ग्राईन्डर में ताजा पीसकर आटे में मिलाकर इसका सेवन करना चाहिए। अलसी मिलाकर रोटियाँ बनाकर खाई जा सकती हैं। अलसी एक जीरो-कार फूड है अर्थात् इसमें कार्बोहाइट्रेट अधिक होता है।शक्कर की मात्रा न्यूनतम है।
कैंसर रोगियों को ठंडी विधि से निकला तीन चम्मच तेल, छः चम्मच पनीर में मिलाकर उसमें सूखे मेवे मिलाकर देने चाहिए।

कैंसर की स्थिति में डाँक्टर बुजविड के आहार-विहार की पालना श्रद्धा भाव से व पूर्णता से करनी चाहिए। कैंसर रोगियों को ठंडी विधि से निकले तेल की मालिश भी करनी चाहिए।
साफ बीनी हुई और पोंछी हुई अलसी को धीमी आंच पर तिल की तरह भून लें। मुखवासी इसका सेवन करें। इसमें सेँधा नमक भी मिलाया जा सकता है। ज्यादा पुरानी भुनी हुई अलसी प्रयोग में न लें।
बेसन में 25 प्रतिशत मिलाकर अलसी मिलाकर व्यंजन बनाएं। बाटी बनाते वक्त भी उसमें भी अलसी पाउडर मिलाया जा सकता है। सब्जी की ग्रेवी में भी अलसी पाउडर का प्रयोग करें।
अलसी सेवन के दौरान खूब पानी पीना चाहिए। इसमें अधिक फाइबर होता है, जो खूब पानी माँगता है।

अंकुरित अलसी

अंकुरित अलसी बनाने की विधिः–

रात को सोते समय अलसी को भिगो कर रख दीजिये। सुबह अलसी को साफ पानी में धोकर पांच मिनट के लिए किसी चलनी में रख दें ताकि उसका पानी नितर जाये। अब साफ धुले हुए मोटे सूती कपड़े जैसे पुराने बनियान में लपेट कर एक प्लेट में रख कर दूसरी प्लेट से ढक कर रख दें। दूसरे दिन सुबह आपके स्वादिष्ट अंकुरित तैयार हैं।

अलसी के कुछ सौंदर्य प्रसाधन आप द्वारा घर पर भी बनाये जा सकते हैं।

अलसी का उबटनः-

चौथाई कप ताजा पिसी अलसी, चौथाई कप बेसन और चौथाई कप गैंहूं के आटे को आधा कप (100 एम.एल.) दही, एक बड़ी चम्मच शहद, एक बड़ी चम्मच अलसी या खोपरे के तेल व किसी भी सुगंधित तेल की 5 बूंद (जैसे लेवेंडर तेल आदि) में अच्छी तरह मिला कर उबटन बनाएं, होले होले चेहरे व बदन पर मलें और घर बैठे ही हर्बल स्पा जैसा लाभ पायें। इससे त्वचा नम व रेशमी बनी रहेगी।

बालों का सेटिंग जेलः-

पहले तीन कप पानी को तेज आंच पर रखें। उबाल आने पर तीन चौथाई कप अलसी डाल कर 8 – 10 मिनट तक सिमर करें। ठंडा होने पर एक चम्मच नारियल या बादाम का तेल व 5 बूंद लेवेन्डर का तेल मिलाएं और फ्रीज में रखें। इसे एक सप्ताह तक बालों को सेट करने हेतु काम में ले सकते हैं।

केश तेलः-

मीठी नीम और मेंहदी के पत्तों को धो कर और पोंछ कर मिक्सर में बारीक पीस लें। एक कप नारियल के तेल को गर्म करें और उसमें एक चम्मच मीठी नीम और मेंहदी के पत्तों के इस पेस्ट को भूरा होने तक धीरे-धीरे भूने। फिर उसमें एक कप अलसी का तेल डाल कर थोड़ा सा लेवेन्डर तेल मिलाएं। आपका केश तेल तैयार है।

स्मरण शक्ति बढ़ाने मेँ प्रयोग

अलसी का तेल आपकी
एकाग्रता, स्मरण शक्ति तथा
सोचने-समझने की शक्ति
को बढ़ाता है। नियमित रूप
से अलसी के तेल के सेवन
से आपको मस्तिष्क सम्बंधी
कोई विकार नहीँ रहेगा ।

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