गुरुवार, 29 सितंबर 2011

रत्नोँ के लाभ


आजकल गली-चौराहे व
चौपाटियोँ पर जगह-जगह
रत्नोँ की दुकानेँ खुल गई हैँ।
विक्रेता रत्न के बारे मेँ जानेँ
या ना जानेँ, पर इस फायदे
मंद धंधे को अपनाने से पीछे
नहीँ हटते।

वे जानते हैँ कि आजकल
रातोँ-रात लखपति बनने के
सपने आदमी देखता है।
रोगमुक्त जीवन जीना
चाहता है। फिर इन रत्नोँ
की जानकारी चाशनीदार
भाषा मेँ रूपान्तरित कर
खरीदार के समक्ष पेश करने
मात्र से लाभ ही लाभ है तो
क्या बुरा है।
आपको बता देँ कि कोई भी
रत्न अच्छे जानकार से पूछे
बगैर धारण न करेँ। बिना
सोचे-समझे पहननेँ पर
संभवतः आपको हानि ही
हाथ लगेगी।
आइए आपको रत्नोँ की
संक्षिप्त जानकारी देँ :-

1. माणिक्य :- यह सिँह
राशि का रत्न है जो सूर्य के
दोषोँ को दूर करता है।इसके
अलावा यह सिर, हृदय, पेट
व नेत्रोँ पर प्रभाव डालता
है। इससे ब्लड प्रैशर,
मधुमेह जैसी बीमारियोँ मेँ
लाभ पहुँचाता है। इसके
अलावा पीठ मेँ उत्पन्न पीड़ा , वातविकार, कर्ण रोग मेँ
प्रभाव दिखाता है।

2. नीलम :- यह कुंभ व
मकर राशि का रत्न है। यह
शनि पीड़ा को शांत करता
है। इस रत्न को धारण करने
से दाम्पत्य सुख मेँ वृद्वि,
टयुमर, घुटनोँ का दर्द, जोड़ोँ
का दर्द, घाव मेँ सड़न, श्वास
व अंडकोष की बीमारी जैसे
कष्ट दूर होते हैँ।

3. मोती :- यह चंद्र रत्न है।
अतः कर्क राशि वालोँ के
लिए फायदेमंद है। यह
त्वचा रोग, पेट संबंधी
बीमारी, श्वास रोग,
मस्तिष्क रोग मेँ लाभकारी है।

4. पुखराज :- यह धनु राशि
का रत्न है। गुरू के दोष को
शांत करने के लिए इसे
धारण किया जाता है। यह
दांपत्य जीवन को सुखमय
एवं कुछ बीमारियोँ मेँ जैसे
गर्भाशय, सैक्स अंगोँ,
किडनी, लीवर, घुटने,
कोहनी के दर्द, गैस, मुत्र
विकार, हड्डियोँ का दर्द दूर
कर लाभ पहुँचाता है। इसके
अलावा गुस्से को शांत करने
की क्षमता भी है इसमेँ।

5. गोमेद :- जो यूरेनस के
कारण कष्टमय जीवन जी
रहे हैँ, वे इसे धारण कर
सकते हैँ। इसके अलावा 4
अंक वाल (जिनका जन्मांक
4 हो) इसे धारण कर
मस्तिष्क, श्वास, मूत्र,यौनांग,
पेट, हृदय तथा तंत्रिकाओँ
संबन्धी समस्या से बच
सकते हैँ।

6. पन्ना :- यह कन्या राशि
वालोँ का शुभ रत्न है। इसके
अलावा मूलांक 5 वाले भी
इसे धारण कर सकते हैँ।
यह रत्न बुध का प्रतीक है।
यह दिमागी विकृति, कर्ण
रोग तथा दृष्टि दोष दूर
करने मेँ सहायक है।

7. हीरा :- मूलांक 6 एवं
तुला राशि वालोँ के लिए
यह रत्न उपयोगी है। शुक्र
ग्रह दोष नाशक रत्न है।
इससे रत्न चिकित्सक शुक्र
दोष (शुक्राणुओँ की कमी),
नशापान तथा चर्मरोग दूर
करते हैँ।

8. लहसुनिया :- यह मीन
राशि एवं मुलांक 7 वालोँ
का मुख्य रत्न है। इससे केतु
के प्रभाव मेँ शांति मिलती है।
इसे धारण कर आप चमड़ी के रोग, पाचन विकार, रक्त
विकार, आमाशय एवं दृष्टि
विकार से बच सकते हैँ।
यह शरीर मेँ स्फूर्ति प्रदान
करने वाला रत्न है।

9. मूंगा :- यह वृश्चिक एवं
मूलांक 9 वालोँ के लिए
अति उत्तम रत्न है। मंगल
का प्रतीक यह रत्न घाव,
छाले, हड्डी व जोड़ोँ के रोग,
आँतविकार, रक्त दोष,
पाचक अंगोँ के दोष तथा
टयूमर, कैँसर जैसी घातक
बीमारियोँ को दूर करता है।

रत्न धारण करने से पूर्व
किसी अच्छे रत्न चिकित्सक
से मिलेँ, तभी उसे धारण
करेँ वरना सड़क पर कई
अज्ञानी अपना-अपना
बखान करते मिल जाते हैँ,
जो आपके लिए घातक सिद्व
हो सकते हैँ।

सोमवार, 26 सितंबर 2011

क्योँ आता है जल्दी बुढ़ापा?


आज भी मॉर्डन जीवन शैली
मेँ जल्दी बुढ़ापा आने का
मतलब है कि शारीरिक
और मानसिक तौर पर
जल्दी कमजोर हो जाना।
दरअसल बढ़ती उम्र हमेँ
जीवन के आखिरी पड़ाव
बुढ़ापा या वृद्वावस्था तक
पहुँचाता है।
वृद्वावस्था वह अवस्था
होती है जब शरीर की सुनने
, देखने, बोलने, सूंघने, जीभ
, त्वचा, मानसिक क्षमता का
काम करने की योग्यता
क्षीण होने लगती है लेकिन
मॉर्डन जमाने मेँ यह
अवस्था जल्द ही इंसान को
अपने वश मेँ करने लगती
है।


जल्दी वृद्वावस्था आने के
कारण
:-

> भागती-दौड़ती जीवन शैली,

> गलत खाने की आदतेँ,

> शराब व तंबाकू का सेवन।


रोकथाम के उपाय
:-
> रोजमर्रा जीवन मेँ योगा
व आयुर्वेद का उपयोग करना।

> स्वादोँ 'मीठा, खट्टा, कड़वा, तीखा, नमकीन' का
संतुलित सेवन करना।

> कैलोरी के सेवन व खपत
मेँ सामंजस्य।

> नपा-तुला आहार लेना।

> तेल से शरीर की मालिश
करना ताकि शरीर मेँ लोच
रहे।

> नियमित व्यायाम, ध्यान
तथा सकारात्मक सोच।

> पढ़ना, संगीत सुनना व
हर वह काम करना जिससे
आपको खुशी मिले।


प्राकृतिक नियम
:-

> शुरूआती उम्र मेँ ही प्राणायाम करने से फेफड़े
मजबूत बनते हैँ।

> हंसना लम्बे जीवन के
लिए बहुत कारगर है।

> बालोँ को गर्म पानी व धूप
से बचना चाहिए ताकि
बाल जल्दी सफेद न होँ।

> सीजन के फल व
सब्जियोँ का सेवन अवश्य करेँ।
उदाहरण :- सर्दियोँ मेँ
आंवला, गर्मी मेँ नीँबू व
लंच के दौरान बटरमिल्क
लेना।

> जीवन मेँ पौष्टिक आहार
का बेहद महत्व है। निम्न
रसायनोँ का इस्तेमाल
करना चाहिए। बाल्यावस्था
मेँ- बाला व अतिबाला,
बीच की उम्र मेँ-अर्जुन,
युवावस्था मेँ -आमलकी,
सभी उम्र के लिए -तुलसी।

> हमारा शरीर 30 वर्षो की
उम्र तक शत-प्रतिशत
उर्जावान हो जाता है।
55 वर्ष की उम्र मेँ हृदय की
क्षमता 20 प्रतिशत तक कम
हो जाती है। 55 की उम्र मेँ
गुर्दोँ की क्षमता 25 प्रतिशत
घट जाती है। इसलिए
पौष्टिक आहार व व्यायाम
से हम उम्र को मात दे सकते हैँ।

शनिवार, 17 सितंबर 2011

सपनोँ मेँ भी महिलाओँ से भेदभाव


रात मेँ सोते समय सपने
देखना एक आम बात है।
हम सब कुछ हसीन सपने
देखते हैँ लेकिन कभी-कभी
सपने हमेँ अच्छा-खासा डरा
भी देते हैँ।

विशेषज्ञोँ के दावे को सही
माने तो सपनोँ की दुनिया
मेँ भी महिलाओँ के साथ
भेदभाव होता है। एक
रिसर्च के मुताबिक पुरूषोँ
के मुकाबले महिलाओँ को
ज्यादा डरावने सपने
दिखाई देते हैँ।

शोधकर्ताओँ का कहना है
कि रात को सोते वक्त
महिलाओँ को आने वाले
सपने मेँ हार्मोन महत्वपूर्ण
भूमिका निभाता है। शोध
से यह तथ्य सामने आया
है कि सपने के विषय तय
करने मेँ महिलाओँ के
हार्मोन चक्र की भूमिका
होती है। माहवारी से पहले
महिलाएं ज्यादा भावनात्मक
और डरावने सपने देखती हैँ
महावारी की वजह से
शरीर के तापमान मेँ आया
अंतर सपनो की जड़ है।

शोधदल की प्रमुख डाँक्टर
जेन्नी पार्कर का कहना है कि
माहवारी से महिलाएं
ज्यादा आक्रमक सपने
देखती हैँ। गर्भ के दौरान भी
सपनोँ के विषय मेँ बदलाव
आता है क्योँकि शरीर मेँ
हार्मोन का स्तर बढ़ जाता
है। साधारण महिलाएं भी
पुरूषोँ के मुकाबले अधिक
डरावने सपने देखती हैँ।


सपनोँ का मतलब :-



किसी का पीछा करना
:-
समस्या का सामना करने
से बचना, यह आपके
व्यक्तित्व को भी दिखाता है।


गिरना
:- खुद को पराजित
महसुस करना, यह व्यक्ति
के हारने की प्रवृति को भी
दिखाता है।

मंगलवार, 13 सितंबर 2011

जीभ से जाने अपने स्वास्थ्य के बारे मेँ


जब भी आप डाँक्टर के
पास जाते हैँ, तो वह टाँर्च
की मदद से आपकी जीभ
जरूर चेक करता है। कुछ
लोगोँ को भले ही यह
अजीब लगता हो, लेकिन
सच्चाई यह है कि इस तरह
से बड़ी-बड़ी बीमारियाँ
पकड़ मेँ आ जाती हैँ।
दरअसल, जीभ मेँ होने वाले
बदलाव कई बीमारियोँ को
समय पर पकड़ने मेँ मदद
करते हैँ। जाहिर है, इस
तरह ये बीमारियाँ गंभीर
रूप लेने से बच जाती हैँ।


छाले होना
:- जीभ पर छोटे व दर्द करने
वाले छाले एक आम
समस्या है । इनकी वजह
स्ट्रेस, टेँशन, और हाँर्मोनल
बदलाव हो सकती है ।
हालांकि ये किसी खास
बीमारी के लक्षण नहीँ होते
और कुछ ही दिनोँ मेँ ठीक
हो जाते हैँ । वहीँ , कुछ
खास तरह के छाले बाँडी मेँ
एलर्जी रिएक्शन, वायरस
इंफेक्शन और इम्यून
डिसऑर्डर की ओर इशारा
करतेँ हैँ और जीभ की एक
साइड पर दर्द करने वाली
ग्रोथ हो रही हो, तो इसे
फौरन डाँक्टर को दिखाएं।
यह कैँसर का लक्षण हो
सकता है।


रंग बदलना
:- स्मूथ, हल्की पीली और
सपाट जीभ बाँडी मेँ
आयरन की कमी बताती है,
जबकि सपाट लाल जीभ
डाइट मेँ गड़बड़ की ओर
इशारा करती है। अगर
जीभ का कलर स्ट्राँबेरी के
कलर का हो गया है, तो
इसका मतलब है कि आपको
स्कारलेट फीवर है। जीभ
पर सफेद पैचेज फीवर,
डिहाइड्रेशन, सायफिलिस
या स्मोक करने वालोँ मेँ
ल्यूकोप्लेकिया के लक्षण हो
सकते हैं।

> जीभ के सूजने और लाल
होने की स्थिति को
ग्लोसाइटिस कहते हैँ,
जिसकी वजह बैक्टीरिया
या वायरल इंफेक्शन हो
सकती है।
यह इंफेक्शन मुँह की पूरी
सफाई न रखने, जीभ मेँ
छेद करवाने या मसालोँ,
अल्कोहल और तंबाकू के
सेवन की वजह से होता है।


बाल महसूस होना
:- बुखार से उठने
के बाद, लंबे समय तक
एंटीबाँयोटिक का प्रयोग
करने या परऑक्साइड
वाला माउथवाँश इस्तेमाल
की वजह से जीभ का
टेक्सचर बालोँ वाला
महसूस हो सकता है ।
हालांकि यह कोई घबराने
वाली बात नहीँ है, लेकिन
इससे फंगल इंफेक्शन के
होने का डर रहता है।

> वैसे जीभ की साइड पर उगने वाली बालोँ जैसी
ग्रोथ को हेयरी
ल्यूकोप्लेकिया कहते हैँ। इसे
अक्सर एड्स के मरीजोँ मेँ
देखा गया है।


साइज बदलना
:- कई बार जीभ का साइज
बढ़ जाता है। इस स्थिति को
मेडिकल टर्म्स मेँ मैक्रो-
ग्लोसिया के नाम से जानते
हैँ। यह थायराँयड व हार्मोन
से जुड़ी गड़बड़ियोँ का एक
लक्षण है। हालांकि इस
बीमारी को दवाइयोँ की
सहायता से कंट्रोल किया
जा सकता है।


जीभ का सूखना
:- आमतौर पर नम रहने
वाली जीभ पर सूखापन
महसूस होना डिहाइड्रेशन
व सलाइवरी ग्लैँड के
डिसऑर्डर की पहचान है।
इसके लिए आपको तुरंत
डाँक्टर की मदद लेनी
चाहिए। अगर आपको
अपनी जीभ पर इनमेँ से
कोई भी लक्षण नजर आते
हैँ, तो डाँक्टर को अप्रोच
करने मेँ देर न करेँ। सही
समय पर पकड़े गए लक्षण
और शुरू किया गया
ट्रीटमेँट कई हेल्थ प्राँब्लम्स को दूर कर सकता है।

मंगलवार, 6 सितंबर 2011

सिर के गंजेपन के लिए अनुभूत प्रयोग

दूब घास(Cynodon
dactylon) के पंचाग (फल,
फूल, जड़, तना, पत्ती) तथा
कनेर के पत्तोँ को पीस कर
कपड़े मेँ रखकर रस निकालेँ
और सिर के गंजे स्थान पर
लगायेँ तो सिर्फ 15 दिनोँ मेँ
ही उस स्थान पर नये बाल
दिखाई देने शुरू हो जाते हैँ।
तथा पूरे सिर मेँ तेल की
तरह इस रस का प्रयोग करेँ
तब सफेद बाल काले होने
लगते हैँ ।

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प्रेरक-विचार

बचत और निवेश

शनिवार, 3 सितंबर 2011

शादी के बाद बनती है अच्छी सेहत

हर किसी के जीवन में एक
न एक दिन ऐसा पल आता
है जब वह शादी के बंधन में
बंधता है। हालांकि किसी के
जीवन में ये पल जल्दी
आता है, तो किसी के जीवन
में देर में। आप शादी के
बंधन में बंधने के बाद कई
अच्छी बुरी परिस्थितियों से
गुजरते हैं। शोधों से भी यह
बात स्पष्ट हो चुकी है कि
शादी का बंधन पुरूषों को
तंदरूस्त‍ बनाता है और
महिलाओं के मानसिक
स्वास्थ्‍य को बेहतर बनाता
है। हालांकि देर से शादी
करने में भी कोई बुराई
नहीं। आइए जानें शादी से
सेहत कैसे बनती है।



> जाहिर सी बात है कि
यदि कोई आपकी सही
देखभाल और अतिरिक्त
केयर करने वाला मिलेगा
तो आप निश्चिततौर पर
स्वस्थ होंगे।

> शादी का बंधन ऐसा
तोहफा है जिससे आपका
साथी न सिर्फ आपको
भावनात्मक सपोर्ट करता है
बल्कि आपकी इच्छा-
अनिच्छा का भी खास
ख्याल रखता है।

> शोधों में यह बात
सुनिश्चित हो चुकी हैं कि
एक दूसरे की परवाह करने
वाले कपल एकल जीवन
जीने वालों की तुलना में
ज्यादा खुशहाल और स्वस्थ
रहते हैं।

> दरअसल, शादीशुदा
पुरुष इसलिए स्वस्थ रहते
हैं क्योंकि उनकी पत्नियां
उनकी अच्छे से देखरेख
करती है और वहीं दूसरी
और पुरुष महिलाओं को
भावनात्मक रूप से सहारा
देते हैं।

> आमतौर पर कहा जाता है
कि खुशी इंसान को न सिर्फ
हेल्दी जीवन देती है बल्कि
तनावमुक्त रखती है और
प्यार ऐसा भावनात्मक
लगाव है जो अतिरिक्त‍
देखभाल के साथ-साथ
तनावमुक्त भी रखता है।

> हालांकि इसके‍ विपरीत
आपका पार्टनर सही नहीं है
या फिर आपका उससे
संबंध ठीक नहीं है तो इस
बात का प्रभाव आपके
स्वास्थ्‍य पर भी पड़ता है।

> जो लोग विवाह पर
यकीन नहीं रखते यदि वह
इस तथ्य‍ से रूबरू हो जाएं
कि शादी से सेहत बनती है
और इंसान के जीवन की
तत्कालिक परिस्थितियां
बदल जाती हैं तो निश्चित
तौर पर वह शादी में और
रिश्तों में यकीन करने
लगेंगे।

> शादी केवल भौतिक सुख
ही नहीं देती, बल्कि इससे
महिलाओं और पुरूषों को
अपनी जिम्मेदारियों का
अहसास होता है, एक
परिवार को बनाने की खुशी
मिलती है।

> शादी न सिर्फ अच्छी
सेहत बनाती है बल्कि
अकेलेपन को भी दूर करती
है। साथ ही जो लोग
विवाहित होते हैं उनकी
औसत उम्र भी ज्यादा होती
है।

> शादी से व्यक्ति न सिर्फ
सेहतमंद रहता है बल्कि
वैवाहिक जीवन लोगों की
चिंताएं और परेशानियां भी
दूर करता है। दरअसल हर
किसी को हमेशा जीवन में
कोई ऐसा व्यक्ति चाहिए
होता है जिससे वह अपने
मन की बात खुल कर कह
सके। अगर मन में लगातार
कोई चिंता, कोई अवसाद
घिरा रहेगा तो उसका शरीर
पर लगातार बुरा असर
पड़ता है।

 
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