एक हालिया सर्वेक्षण में सामने आया है कि भारतीय महानगरों और
उप नगरों में नई तथा बनने वाली 87 प्रतिशत माँऐं
डिलीवरी से पहले या बाद में अपने शरीर की दिखावट को लेकर
चिंतित रहती हैं। 90 प्रतिशत नई तथा बनने वाली मां इस बात
से सहमत हैं कि स्ट्रैच मार्क्स उनके लिए सर्वाधिक
चिंता का विषय होते हैं।
क्या हैं गर्भावस्था के स्ट्रैच मार्क्स
:जच्चा-बच्चा विशेषज्ञों के अनुसार जैसे-जैसे पेट के अंदर
बच्चा विकसित होता है तो इसके आसपास की त्वचा में खिंचाव
आता है। हालांकि हमारी त्वचा में एक निश्चित मात्रा तक
लचक होती है, फिर भी त्वचा में इसके सामर्थ्य से अधिक
खिंचाव आता है। कुछ निश्चित प्रकार की गर्भावस्था में
यदि बच्चा आकार में बड़ा हो तो दबाव बहुत अधिक होता है।
गर्भावस्था के बाद जब पेट का अतिरिक्त वजन कम
हो जाता है तो खिंची हुई त्वचा ढीली हो जाती है जिससे
अक्सर मार्क्स रह जाते हैं। इनसे छुटकारा पाना मुश्किल
होता है। यह एक सामान्य परिघटना है और हर गर्भस्थ
महिला के लिए यह एक डरावने सपने की तरह है।
कब सामने आते हैं स्ट्रैच मार्क्स:
विशेषज्ञों के अनुसार अधिकतर महिलाओं में ये मार्क्स
गर्भावस्था के छठे या सातवें महीने के बाद सामने आना शुरू
हो जाते हैं। गर्भावस्था के बाद ये मार्क्स अधिक दिखने लगते
हैं क्योंकि महिला का वजन कम होना शुरू हो जाता है।
डाक्टरों के अनुसार स्ट्रैच मार्क्स आनुवांशिक भी हो सकते
हैं। यदि आपकी माता या बहन में भी स्ट्रैच मार्क्स थे तो आप
में भी इनके होने की संभावना है। अधिक वजन वाली महिलाओं
में ये मार्क्स ज्यादा पाए जाते हैं। गोरी रंगत वाली महिलाओं में
गुलाबी रंग के जबकि सांवली रंगत वाली महिलाओं में
हमारी स्किन टोन से थोड़े हल्के स्ट्रैच मार्क्स पाए जाते हैं।
सिर्फ पेट पर स्ट्रैच मार्क्स एक भ्रांति:
भारतीय महिलाओं का मानना है कि स्ट्रैच मार्क्स सिर्फ पेट
पर ही उभरते हैं। यह एक भ्रांति है। गर्भावस्था के दौरान पडऩे
वाले स्ट्रैच मार्क्स हो सकता है पेट के आसपास के क्षेत्र
पर ही दिखते हों परन्तु ये जांघों पर और यहां तक कि घुटनों से
लेकर बांहों पर भी हो सकते हैं।
स्ट्रैच मार्क्स का इलाज:
माँओं के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि स्ट्रैच मार्क्स से
बचना पूरी तरह संभव नहीं है। ये मार्क्स गर्भावस्था की देन
हैं। कई मामलों में ये गायब होने में 5 से 6 साल का समय लेते
हैं। स्ट्रैच मार्क्स को कम करने के लिए एक दिन में दो या तीन
बार कोको या शिया बटर से अपनी स्किन को मॉइश्चराइज
करने से बहुत सहायता मिलती है। बॉडी ऑयल्स तथा क्रीम्स
का नियमित प्रयोग गर्भावस्था के दौरान बहुत जरूरी है
क्योंकि इस दौरान महिलाओं की त्वचा अधिक
सूखी हो जाती है।
जिन क्रीम्स में ट्रैटीनोइन और टाजारोटीन मौजूद होते हैं वे
स्ट्रैच स्ट्रैच मार्क्स के अंदर कोलाजैन का पुन: निर्माण कर
सकते हैं और उनकी दिखावट को सुधार सकते हैं लेकिन
इनका इस्तेमाल गर्भावस्था के दौरान नहीं किया जाना चाहिए।
ग्लाइकोलिक एसिड भी इसी तरह का काम करता है और इसे
क्रीम के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
कॉस्मैटिक प्रक्रियाओं का इस्तेमाल:
जो महिलाएं स्ट्रैच स्ट्रैच मार्क्स से छुटकारा पाना चाहती हैं
उनमें कॉस्मैटिक ट्रीटमैंट्स भी एक बढिय़ा विकल्प साबित
हो रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार चीर-फाड़ की प्रक्रिया के
बिना स्ट्रैच स्ट्रैच मार्क्स को पूरी तरह दूर करना असंभव है
क्योंकि यह त्वचा के डर्मिस (मध्यम परत) पर पडऩे वाले दाग
हैं। साथ ही विशेषज्ञ यह चेतावनी भी देते हैं कि ट्रीटमैंट्स
सिर्फ गर्भावस्था के बाद ही करवाई जानी चाहिए। आइए
जानते हैं
कुछ आम कॉस्मैटिक प्रक्रियाओं के बारे में-
एब्डोमिनोप्लास्टी:
इसे ‘टमी टक’ के नाम से भी जाना जाता है। यह एक आम
सर्जीकल प्रक्रिया है जिसे गर्भावस्था के बाद नजर आने
वाले स्ट्रैच स्ट्रैच मार्क्स को हटाने के लिए किया जाता है।
यह प्रक्रिया न सिर्फ पेट के निचले हिस्से की अतिरिक्त
त्वचा को हटाती है बल्कि साथ ही इसे टोन अप भी करती है।
यह एक डे केयर प्रक्रिया है और यह एक सप्ताह तक
चलती है। मरीज को कुछ हफ्तों तक खिंचाव पैदा करने
वाली गतिविधियों से बचना चाहिए।
लेजर ट्रीटमैंट:
पल्स्ड डाई लेजर का इस्तेमाल करने से गर्भावस्था के बाद के
स्ट्रैच स्ट्रैच मार्क्स कम हो जाते हैं। ऐसी लेजर ट्रीटमैंट्स
सांवली त्वचा वाली महिलाओं के लिए अधिक प्रभावी नहीं हैं।
यह प्रक्रिया तब बहुत बढिय़ा काम करती है जब लाल स्ट्रैच
स्ट्रैच मार्क्स और त्वचा की पिगमैंट में बहुत बड़ा कंट्रास्ट
हो। पुराने स्ट्रैच स्ट्रैच मार्क्स के लिए लेजर बेरंगेपन, आकार
तथा गहराई को कम करती है और त्वचा की लचक को 50 से
65 प्रतिशत तक सुधारती है।
स्ट्रैच मार्क्स की देखभाल के टिप्स
1 हमेशा हाईड्रेटिड रहें।
2 स्नान के एकदम बाद ऑलिव, आल्मंड, कैस्टर
तथा एवोकाडो ऑयल से शरीर की मालिश करें। एलोवेरा स्ट्रैच
स्ट्रैच मार्क्स को समाप्त करने के लिए प्रसिद्ध है।
3 अपनी त्वचा पर अंडे का सफेद हिस्सा लगाएं जो प्रोटीन
का भरपूर स्रोत है।
4 गर्भावस्था के दौरान यदि सूर्य की रोशनी में समय
बिता रही हों या स्विमिंग करने जा रही हों तो सनस्क्रीन
का इस्तेमाल करें।
5 पालक, गाजर, शकरकंद, ब्लूबेरीका, स्ट्राबेरीका, विटामिन
ई युक्त खाद्यों, मेवों, एवोकाडो, हरी फूल गोभी तथा साग
इत्यादि जैसे एंटी ऑक्सीडैंट्स से भरपूर खाद्यों का सेवन करें
क्योंकि इनसे त्वचा को पोषण मिलता है। जो महिलाएं
मांसाहारी हैं उनके लिए फिश, अंडे तथा ऑयस्टर्स
बढिय़ा विकल्प हैं।
6 स्ट्रैच मार्क्स से बचने के लिए तैलीय खाने की अधिक
खपत से बचें। यह एक भ्रांति है कि गर्भस्थ
महिला को दो लोगों के बराबर खाना खाना चाहिए। अधिक वजन
बढऩे से बचने के लिए प्रोटीन से भरपूर नियमित तौर पर
खाना खाएं। वजन बढ़ता है तो स्ट्रैच मार्क्स उभरते हैं।
7 गर्भावस्था के दौरान कसरत करने से त्वचा की लचक
बरकरार रहती है। इस प्रकार स्ट्रैच स्ट्रैच मार्क्स कम होते
हैं। अपने रक्त प्रवाह को बढिय़ा बनाने के लिए कीजैल
एक्साइज करें। आप प्रैगनैंसी योगा का विकल्प भी चुन
सकती हैं।
8 स्ट्रैच मार्क्स से खुजली भी हो सकती है परन्तु
ऐसा करना नहीं चाहिए। इन पर कैलामाइन ऑयल क्रीम लगाई
जानी चाहिए।