बुधवार, 8 जनवरी 2014

सर्दियों में थकान का ज्यादा होना

थकान के लक्षण आप ऊर्जा की कमी महसूस करते हैं। अक्सर आलस और उत्साह की कमी पाते हैं। हमेशा उनींदा महसूस करते हैं। आपकी ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कम हो जाती है। निर्णय लेने में कठिनाई होती है। कई बार अवसादग्रस्त महसूस करते हैं।

आयरन की कमी बढ़ाती है थकान : थकान का सबसे सामान्य चिकित्सकीय कारण है आयरन की कमी यानी एनीमिया। यह 20 में से एक पुरुष और मेनोपॉज के स्तर को पहुंच चुकी महिलाओं में होता है, लेकिन यह समस्या उन महिलाओं में 25-30 प्रतिशत होती है, जिन्हें पीरियड्स होते हैं। गर्भवती महिलाएं भी आमतौर पर एनीमिया से पीडित होती हैं। अगर महिलाएं प्रतिदिन 18 मिलीग्राम और पुरुष 8 मिलीग्राम से कम आयरन ले रहे हैं तो उनके शरीर को ठीक तरह से काम करने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। मांस और हरी पत्तेदार सब्जियां आयरन के अच्छे स्त्रोत हैं। आयरन हीमोग्लोबीन के निर्माण के लिए जरूरी है। हीमोग्लोबिन का स्तर सीधे तौर पर हमारी ऊर्जा के स्तर को प्रभावित करता है, क्योंकि इसकी कमी से अंगों को आॅक्सीजन कम मिलती है। पुरुषों के लिए हीमोग्लोबिन का स्तर 14-18 ग्राम/डीएल और महिलाओं में इसकी मात्रा 12-16ग्राम/डीएल होनी चाहिए। कितने कारगर हैं

सप्लीमेंट्स : कई लोग थकान महसूस होने पर एनर्जी ड्रिंक का सहारा लेते हैं, लेकिन एनर्जी ड्रिंक शुगर और कैफीन से भरपूर होते हैं। ये कुछ समय के लिए तो ऊर्जा दे देते हैं, लेकिन यह आपके लिए कई समस्याएं भी पैदा कर सकते हैं। ज्यादा कैफीन के सेवन से ब्लड प्रेशर हाई हो सकता है, जबकि शुगर वजन बढ़ाने का काम करती है। मल्टीविटामिन की गोलियां बिना डॉक्टर की सलाह के न लें।

क्यों होती है थकान : सर्दियों में दिन छोटे और रातें बड़ी हो जाती हैं और आपके जागने और सोने का चक्र गड़बड़ा जाता है, जिससे थकान होती है। सर्दियों में सूरज की रोशनी कम होने का अर्थ है कि आपका मस्तिष्क ज्यादा मात्रा में मेलैटोनिन हार्मोन बना रहा है, जो आपको उनींदा बनाता है, क्योंकि इस स्लीप हार्मोन का सीधा संबंध रोशनी और अंधेरे से होता है। सर्दियों में जब सूरज जल्दी छिप जाता है तो हमारा मस्तिष्क मेलैटोनिन बनाने लगता है, जिससे सांझ ढलते ही हमारा सोने का मन करता है और हम जल्दी बिस्तर में जाना चाहते हैं। सर्दियों में हमारी शारीरिक सक्रियता भी थोड़ी कम हो जाती है। हम थका-थका सा महसूस करते हैं। कभी-कभी यह थकावट और आलस गंभीर विंटर डिप्रेशन का संकेत भी हो सकती है। इसे डॉक्टरी भाषा में सीजनल अफेक्टिव डिसआर्डर कहते हैं। हर पंद्रह में से 1 व्यक्ति विंटर डिप्रेशन का शिकार होता है। यही वजह है कि सर्दियों में आत्महत्या के मामले बाकी मौसमों के मुकाबले बढ़ जाते हैं। इसी कारण इसे आत्महत्याओं का मौसम भी कहा जाता है। इससे बचने के लिए जितना ज्यादा से ज्यादा हो सके, प्राकृतिक प्रकाश में रहे। विटामिन डी की कमी से भी थकावट होती है। सर्दियों में अपने भोजन में सोया उत्पादों, दुग्ध उत्पादों, अंडे, मांस और चिकन की मात्रा बढ़ा दें।

मंगलवार, 7 जनवरी 2014

कुछ सामान्य लक्षणों से जाने कैंसर का संकेत

कुछ ऐसे सामान्य लक्षण हो सकते हैं जिन्हें आप रोजमर्रा की थकान समझ कर छोड़ सकती हैं। यदि आप भी इनमें से कोई लक्षण निरंतर तौर पर खुद में देखती हैं तो जांच अवश्य करवाएं...

बहुत अधिक वजन घटना

यदि डाइटिंग करने या कसरत के कारण आपका वजन कम हो रहा है तो यह ठीक बात नहीं है परंतु यदि आप जीवन शैली संबंधी आदतों में कोई परिवर्तन देखे बिना अपना वजन घटता हुआ देख रही हैं तो यह कई प्रकार के कैंसर से जुड़ा हो सकता है जिनमें पैंक्रियास या पेट का कैंसर शामिल हैं।

बुखार

लगातार बना रहने वाला बुखार लिम्फोमा या ल्यूकीमिया जैसे ब्लड कैंसर का प्रारंभिक संकेत हो सकता है। यदि आपको लगातार बुखार रहता है तो आपको डाक्टर से अवश्य मिलना चाहिए। यहां तक कि यदि यह कैंसर नहीं है तो भी गंभीरता से इसका उपचार होना चाहिए।

दर्द

हालांकि दर्द के कई कारण हो सकते हैं परंतु लगातार रहने वाले सिरदर्द दिमाग के कैंसर के प्रारंभिक संकेत हो सकते हैं। साथ ही कमर दर्द, रैक्टल या ओवेरियन कैंसर का संकेत हो सकता है। यदि आपको लगातार दर्द रहता हो तो अपने डाक्टर से सलाह अवश्य लें।

खांसी

यदि आप को खांसी रहती है जो जाती नहीं है तो यह फेफड़ों के या श्वास नली के कैंसर का संकेत हो सकती है। हो सकता है कि यह मौसम से संबंधित एलर्जी हो फिर भी सुनिश्चित करने के लिए जांच जरूरी है।

शरीर में मांस की गांठें

यदि आपकी त्वचा में मांस की गांठें हैं तो डर्मैटोलॉजिस्टस से संपर्क करें। यदि ये गांठें आपके वक्ष, अंडकोष या लिम्फ नोड्स के नजदीक हैं तो विशेष ध्यान दें। बांहों, टांगों या शरीर के अन्य हिस्सों में यदि गांठें दिखें तो डरें नहीं। ये नुक्सानरहित सिबेशियस सिस्ट्स हो सकती हैं।

असामान्य रक्तस्राव

असामान्य रक्तस्राव कई प्रकार के कैंसर का संकेत हो सकता है। खांसते वक्त खून आने का मतलब है फेफड़ों का कैंसर, मल में खून आने का अर्थ है कोलन या रैक्टर कैंसर, पेशाब में खून आने का अर्थ है ब्लैडर कैंसर तथा योनि में से लगातार रक्तस्राव का संबंध सर्वाइकल कैंसर से हो सकता है। यदि आपके निप्पल से खून निकलता हो तो यह छाती का कैंसर है।

थकान

लगातार रहने वाली थकान जो आराम करने से भी दूर न होती हो वह भी कैंसर का एक संकेत हो सकती है।

सोमवार, 6 जनवरी 2014

हाथों की त्वचा का रंग भी सेहत के बारे में कुछ बताता है


हैल्थ और पर्सनैलिटी का आईना होते हैं हाथ, इनमें हुनर
ही नहीं, स्वास्थ्य के भी राज हैं। पहले वैद्य एवं हकीम
रोगी की आंखों, हाथ, नाखून और त्वचा की रंगत और शरीर के
तापमान से ही रोग का पता लगा लेते थे, आज भले ही नई
तकनीकें इस क्षेत्र में आ गई हैं परंतु पुरानी तकनीक से हम
रोग की दस्तक को पहले ही पहचान कर उसका उपचार
करा सकते हैं।
आप भी अपने ही नहीं बल्कि दूसरों के हाथों पर भी नजर रख
उनके स्वास्थ्य के बारे में काफी हद तक जान सकती हैं
ताकि समय रहते आप उसका उपचार भी ढूंढ सकें।
हालांकि किसी भी रोग की सही जानकारी के लिए आज कई
प्रकार के टैस्ट कराए जाते हैं पर वे निशानियां आज
भी नहीं बदलीं और स्वास्थ्य में होने वाले बदलावों को सहज
ही बता जाती हैं।

नाखून

शनिवार, 14 दिसंबर 2013

जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए धूप जरूरी

गठिया के रोगियों के लिए सावधान होने का समय आ गया है। सर्दियों की शुरुआत से ही खान-पान से लेकर शारीरिक सक्रियता का ध्यान रखना दर्द में राहत देगा।
खान-पान नियंत्रित करें
सबसे पहले तो सर्दियों में खान-पान पर विशेष ध्यान देना होगा। ज्यादा खाने-पिने की आदतों को नियंत्रित करना होगा। यदि किसी व्यक्ति को गठिया है और वह ज्यादा खाए तो उसका वजन और बढ़ सकता है।वजन से पैरों पर और जोर बढ़ेगा तो दर्द और बढ़ेगा,इसलिए वजन कम करने पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। खाने में वे चीजें कम लें,जो वजन बढ़ाने वाली होती हैं। मद्यपान एवं धूम्रपान से परहेज करना चाहिए।
शारीरिक गतिविधियां जरी रखें
औषधियों के साथ-साथ जोड़ों के व्यायाम,शारीरिक क्रियाशीलता,मांसपेशियों के व्यायाम या फिजियोथेरेपी गठिया के उपचार में भूमिका निभाते हैं। यह दर्द और जकड़न को कम करने में सहायक सिद्ध होते हैं।व्यायाम से जोड़ों में लचीलापन,गतिशीलता एवं मांसपेशियों को शक्ति मिलती है। तीन प्रकार के व्यायाम करने चाहिए। ● गतिशीलता को बढ़ाने वाले व्यायाम,जिनमें जोड़ों की सामान्य स्थिति बनी रहे एवं उनमें जड़ता उत्पन्न न हो पाए। ● मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करने वाले व्यायाम। ● एरोबिक व्यायाम,जिनसे दिल में रक्त संचालन तेज हो और वजन भी नियंत्रित रहे।वजन जितना कम होगा,रोग उतनी जल्दी ठीक होगा।
धूप सेकें
सर्दियों में एक तो धूप कम आती है,दूसरे लोग बाहर भी कम निकलते हैं। गठिया से ग्रसित और इससे बचने के लिए लोगों को ज्यादा से ज्यादा धूप सेंकनी चाहिए।धूप से विटामिन-डी मिलता है,जिसकी कमी से प्रतिरोधक तंत्र कमजोर होने लगता है।विटामिन-डी हड्डियों के लिए खुराक का कार्य करता है।
सकारात्मक सोच रखें
कई बार सर्दियों में लोग उदास रहने लगते हैं। रोगियों की तकलीफ बढ़ने लगती है तो वे निराश व नकारात्मक हो जाते हैं। मौसम से उत्पन्न उदासी से बचने के लिए परिजनों के साथ समय बिताएं और विश्राम एवं श्रम में संतुलन बनाएं।

 
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