मैं गेहूं हूँ
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लेखक डॉ. ओ.पी.वर्मा
मैं किसी पहचान का नहीं हूं मोहताज
मेरा नाम गेहूँ है, मैं भोजन का हूँ सरताज
अडानी, अंबानी को रखता हूँ मुट्ठी में
टाटा, बिरला दौड़े आ...
माचिस की तीलियाँ
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एक जैसी ही दिखती थी............माचिस की वो तीलियाँ,
कुछ ने दीये जलाये....................और कुछ ने घर।
कुछ ने महकाई.................. अगरबत्तियां मंदिर में,...