अगर आप पेट दर्द या सिर दर्द से तड़पते हुए अस्पताल पहुंचे और वहां पहुंचने पर डाक्टर दवा देने के बजाय आपको संगीत सुनाने लगे तो चौंके नहीं। शायद आपको विश्वास नहीं हो, लेकिन आने वाले समय में संगीत को कई बीमारियों के इलाज का कारगर नुस्खे के तौर पर इस्तेमाल में लाया जाने वाला है। विदेश के साथ साथ भारत के कई अस्पतालों में भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।
स्वास्थ्य पर संगीत के प्रभाव को लेकर अनेक देशों में हुए वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि मनपसंद संगीत सुनने से ब्लड प्रेशर में कमी आती है, दिल की धड़कन नियमित होती है, डिप्रेशन दूर होता है, बेचैनी में कम होती है और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है। आपरेशन के दौरान या उसके बाद दर्द निवारक दवाइयों की जरूरत कम होती है, कीमोथिरेपी के बाद उल्टी की शिकायत कम होती है, दर्द से राहत मिलती है और पार्किसन के रोगी के अंगों में स्थिरता आती है। संगीत चिकित्सा का इस्तेमाल प्रसव पीड़ा को कम करने के अलावा सिर दर्द और सर्दी, जुकाम जैसी रोजमर्रे की समस्याओं को दूर करने में भी हो रहा है। पश्चिमी देशों में संगीत का इस्तेमाल पार्किसन व अल्जाइमर जैसी खतरनाक बीमारियों के इलाज में भी होता है।
नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के बॉडी माइंड क्लीनिक में आने वाले मरीजों के इलाज के लिए संगीत चिकित्सा का भी इस्तेमाल किया जाता है। इस क्लीनिक के प्रमुख और वरिष्ठ होलिस्टिक चिकित्सा विशेषज्ञ डा. रविंद्र कुमार तुली का कहना है कि मानसिक रोगों के मरीजों पर संगीत का चमत्कारिक असर होता है। संगीत मैटाबाल्जिम को तेज करता है, मांसपेशियों की ऊर्जा बढ़ाता है, श्वसन प्रक्रिया को नियमित करता है और ब्लड प्रेशर पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।
दुनिया के अनेक देशों के साथ साथ भारत में भी संगीत को लेकर अनेक स्तरों पर अध्ययन-अनुसंधान हो रहे हैं। चेन्नई के अपोलो अस्पताल ने संगीत चिकित्सा पर एक साल का एक पाठ्यक्रम शुरू किया है। मुंबई के एक अस्पताल और नागपुर के डाक्टरों की एक टीम ने संगीत चिकित्सा के बारे में अलग-अलग प्रशंसनीय कार्य किए हैं। डयूटी के दौरान दिल के दौरे पड़ने के बढ़ रहे मामलों के मद्देनजर मंुबई पुलिस ने भी तनाव घटाने के लिए संगीत का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। बड़ोदरा में किए गए अध्ययनों में पाया गया कि शास्त्रीय संगीत अनेक तरह की समस्याओं को दूर करने में सहायक है। डाक्टरों का मानना है कि संगीत का उन्मादी लोगों पर भी सकारात्मक असर पड़ता है।
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मैं गेहूं हूँ
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लेखक डॉ. ओ.पी.वर्मा
मैं किसी पहचान का नहीं हूं मोहताज
मेरा नाम गेहूँ है, मैं भोजन का हूँ सरताज
अडानी, अंबानी को रखता हूँ मुट्ठी में
टाटा, बिरला दौड़े आ...
3 वर्ष पहले
1 comments:
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