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मंगलवार, 14 अक्तूबर 2014

अनेक दुःखों में कारगर है हल्दी।

हल्दी अपने औषधीय और सौंदर्यवर्धक
गुणों के कारण रसोई की शान रही है। चटक
पीले रंग के कारण भारतीय केसर के नाम से
भी प्रसिद्ध हल्दी पौष्टिक गुणों से
भरी हुई है।

हड्डियों को मजबूत बनाए:- रात को सोते समय हल्दी की एक इंच लंबी कच्ची गांठ को एक गिलास दूध में उबालें। थोड़ा ठंडा होने पर इसे पी लें।

ऑस्टियोपोरोसिस जैसे रोगों का खतरा कम होता है।

गठिया का इलाज:- हल्दी इस रोग के इलाज के लिए अनूठा घरेलू प्राकृतिक उपाय है। सुबह
खाली पेट एक गिलास गर्म दूध में एम चम्मच
हल्दी मिलाकर पीने से गठिया के दर्द में
राहत मिलती है।

एनीमिया के उपचार में प्रभावी:- लोहे से समृद्ध हल्दी एनीमिया के इलाज के प्राकृतिक उपायों में एक है। कच्ची हल्दी से निकाला गया आधा चम्मच रस एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर पीना फायदेमंद है।

दंत रोगों में गुणकारी:- थोड़ी-सी हल्दी, नमक और सरसों का तेल मिलाएं। दांतों को मजबूत बनाने के लिए रोजाना इस मिश्रण से दांतों और
मसूड़ों की ब्रशिंग करें।
कच्ची हल्दी की गांठ को अच्छी तरह भूनकर पीस लें। पिसे मिश्रण से दर्द वाले दांत की मालिश करें। आराम मिलेगा। कच्ची हल्दी के कसैले रस से मालिश करने पर दांत और मसूड़े मजबूत होते हैं, उनकी सूजन दूर होती है और दांत के कीड़े खत्म हो जाते हैं।

मुंह के छालों से छुटकारा:- एक गिलास पानी में कुछ हल्दी मिला कर कुल्ला करने से मुंह के छालों में आराम मिलता है।

खांसी में राहत:- खांसी में कफ की समस्या होने पर एक गिलास गर्म दूध में एक-चौथाई चम्मच
हल्दी मिलाकर पीना फायदेमंद है। पुरानी खांसी या अस्थमा के लिए आधा चम्मच शहद में एक-चौथाई चम्मच हल्दी अच्छी तरह मिलाकर चाटने से आराम मिलता है।

गुमचोट के इलाज में सहायक:-एक गिलास गर्म दूध में एक टी-स्पून हल्दी मिलाकर पीने से चोट के दर्द और सूजन में राहत मिलती है। चोट पर हल्दी और पानी का लेप लगाने से आराम मिलता है। आधा लीटर गर्म पानी, आधा चम्मच सेंधा नमक और एक चम्मच हल्दी डाल कर अच्छी तरह मिलाएं। इस पानी में एक कपड़ा डाल कर निचोड़ लें और चोट वाली जगह पर इससे सिंकाई करें।

घावों पर मरहम:- घी या तेल में हल्दी मिलाएं। इसे थोड़ा गर्म करके घाव के ऊपर लगाकर
ड्रेसिंग करें। हल्दी को पानी के साथ मिक्स करके भी घाव पर मोटा लेप लगाने से आराम मिलता है। इससे घाव का बहता हुआ खून भी रुक सकता है।

टाइप 2 के मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद:-
हल्दी में मौजूद कुरकूमिन ब्लड शुगर को कम
करता है और ग्लूकोज के चयाचपय को बढ़ाकर मधुमेह को नियंत्रित रखता है। दिन में भोजन के साथ आधा-आधा चम्मच हल्दी पाउडर के सेवन से आराम मिलता है।

शनिवार, 13 नवंबर 2010

वायरल, डेगूँ तथा चिकुनगुनिया से बचने का तरीका तथा प्रभावी इलाज

चिकुनगुनिया, डेँगूँ तथा वायरल से सभी लोग भयभीत है क्योँकि यह बीमारियाँ बहुत ही खतरनाक रूप लेती जा रही है।चिकुनगुनिया का वायरस शरीर मेँ प्रवेश करने के बाद 2 से 4 दिन का समय फैलने मेँ लेता है।


लक्षण :-
 (1.) सर्दी के साथ तेज बुखार जिसमेँ शरीर का ताप 39 डिग्री सेo
         या 102.96 डिग्री फारेo रहता है।
 (2.) इसमेँ पहले धड़ और फिर हाथोँ तथा पैरोँ पर चकते बन जाते हैँ।
(3.) माँसपेशियोँ मेँ दर्द के साथ सूजन।
(4.) सिर दर्द, पेट मेँ दर्द, प्रकाश से भय लगना तथा आँखोँ मेँ दर्द होना।

इसमेँ बुखार 2 से 3 दिन तक रहता है और फिर अचानक समाप्त हो जाता है। इसके उपरान्त काफी लम्बे समय तक जोड़ोँ मेँ दर्द तथा सूजन रहती हैँ।
इस रोग से रोगी का पूर्णतः
ठीक होना उसकी उम्र पर निर्भर करता है।

जवान लोग= 5 से 15 दिन मेँ
मध्य आयु वर्ग= 1 से ढाई महिने मेँ
बुजुर्ग वर्ग = 4 से 8 महिने मेँ
पूर्णतः ठीक हो पाते है। गर्भवती महिलाओँ पर इसका दुष्प्रभाव नहीँ देखा गया है।

बचने का उपाय :- इन रोगोँ से हम अपना बचाव भी कर सकते है। जब भी मौसम मेँ बदलाव होने लगे तथा ताप(Temprature) मेँ उतार- चढ़ाव होने लगे तभी से हमेँ इन बीमारियोँ से बचने के लिए निम्न प्रकार से इस नुस्खे का प्रयोग रोजाना लगातार करते रहना चाहिए। यह निरापद है तथा इसका कोई साईड ईफेक्ट नहीँ हैँ।

(1.) अजवाइन = 5gm.

(2.) अश्वागंधा = 5gm.

(3.) गिलोय पाऊडर = 4gm.

(4.) शिलाजीत सत् = 2 से 3 बूंद

इनमेँ से अजवाइन तथा गिलोय पाऊडर को रोज सुबह खाली पेट गुनगुने पानी से निगल लेँ। इसके आधे घण्टे पश्चात् अश्वगंधा तथा शिलाजीत सत को गुनगुने दूध से लेँ।


रात को सोते समय एक कप दूध मेँ 3gm हल्दी को ऊबालकर उसमेँ चीनी डालकर पियेँ। हल्दी Antibiotic होती है तथा वायरल के कीटाणुओँ (Virus) का भी नाश करने मेँ मदद करती है।


सिर दर्द, बदन दर्द, गले की खराश, जोड़ोँ के दर्द तथा थोड़ी सी भी थकान होते ही आप तुरन्त पेनक्लिर लेने के आदी बन चुके हैँ । ये पेनक्लिर बहुत ही हानिकारक हैँ । शोधोँ के द्धारा सिद्ध हो चुका है कि ये पेनक्लिर तेजी से प्लेटलेटस की संख्या को कम कर देती हैँ। अतः उपरोक्त किसी भी प्रकार के दर्द होने पर निम्न नुस्खा प्रयोग करेँ।


10 लौँग+ 10 काली मिर्च +थोड़ी सी दालचीनी + 4 चम्मच चीनी
इन सबको एक गिलास पानी मेँ डालकर एक चौथाई गिलास पानी शेष बचने तक धीमी आँच पर ऊबालेँ । इस प्रकार यह सिरप जैसा बन जायेगा। अब इसमेँ से 4-4 चम्मच सिरप को आठ घण्टे के अन्तर से पीते रहेँ। गले मेँ दर्द तथा खराश होने पर इसमेँ शेष बची हुई लौँग काली मिर्च तथा दालचीनी को मूहँ मेँ रखकर चूसेँ। इससे आपको आधा घण्टे मेँ आराम मिल जायेगा।


Ayurvedic Treatment :-

(1.) महासुदर्शन घन वटी = 1 गोली
(2.) मृत्युन्जय रस = 1 गोली
(3.) महा ज्वरान्कुश रस = 1 गोली
(4.) आनन्द भैरव रस = 1 गोली


सभी चारोँ गोली की 1 dose को गुनगुने पानी के साथ लेँ। इसी तरह से इसे पहले 3 दिन चार चार घण्टे के अन्तर से लेँ। इसके बाद 4 दिन तक छः छः घण्टे अन्तर से लेँ।


Homeopathic Treatment
:-

(1.) Kalmegh Q
(2.) Tinospora cardifolia Q
(3.) Chirayata Q
(4.) Ceasalpeania bondusela Q
(5.) Azadirachta indica Q

इन सभी पाँचोँ दवाओँ का एक साथ मिलाकर मिक्सचर बना लेँ। अब इसमेँ से 1 चम्मच दवाई को 4 चम्मच पानी मेँ मिलाकर चार चार घण्टे के अन्तर से प्रयोग करेँ।

अगर Infection ज्यादा उग्र रूप मेँ हो तो उपरोक्त मिश्रण मेँ Echinesia Q की 10 बूंद मिलाकर प्रयोग करेँ।

ध्यान देँ :- यह दवाईयाँ बैक्टेरियल, वायरल तथा फँगल इंफैक्शन मेँ बराबर कारगर हैँ। इन दवाई का प्रयोग करते समय तक पानी का प्रयोग ज्यादा करेँ।



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