बुधवार, 24 नवंबर 2010

लो ब्लड प्रेशर का इलाज खुद करेँ

इस भागमभाग और तनाव भरी जिँदगी मेँ लोगोँ मेँ ब्लड प्रेशर (रक्तचाप) की समस्या पेश आ रही हैँ।
जितना घातक हाई ब्लड प्रेशर होता है उतना ही नुकसानदेह लो ब्लड प्रेशर।

इस रोग के कारण रोगी के शरीर मेँ खून सँचरण गति (Blood circulation) सामान्य से कम हो जाती है।

अर्थात लो ब्लड प्रेशर की स्थिति वह होती है कि जिसमेँ रक्तवाहिनियोँ मेँ खून का दबाव काफी कम हो जाता है। सामान्य रूप से 90/60 mmhg को लो ब्लड प्रेशर की स्थिति माना जाता है।

-: लो ब्लड प्रेशर के लक्षण :-

* थकान
* सुस्ती
* नीँद
* कमजोरी
* चक्कर
* सिर दर्द

-: लो ब्लड प्रेशर के कारण :-

* भोजन मेँ पोषक तत्वोँ की कमी
* कुपोषण
* खून की कमी
* पेट व आँतोँ , किडनी और ब्लैडर मेँ खून का कम पहुँचना
* निराशा का भाव लगातार बनेँ रहना
* ज्यादा गर्म वातावरण मेँ रहना

-: कैसे करेँ इलाज :-

* पिए चुकंदर का जूस- लो ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाये रखने मेँ चुकंदर का जूस काफी कारगर होता है। रोजाना 100 - 100 ml. जूस सुबह - शाम पीना चाहिए। इससे हफ्ते भर मेँ आप अपने ब्लड प्रेशर मेँ सुधार पाएंगे।

* एक गिलास दूध मेँ चुटकी
भर असली केसर को घोट
कर पियेँ।

* जटामानसी , कपूर और दालचीनी को समान मात्रा मेँ लेकर मिश्रण बना लेँ और तीन - तीन ग्राम की मात्रा मेँ सुबह - शाम गर्म पानी से सेवन करेँ। कुछ ही दिन मेँ आपका ब्लड प्रेशर मेँ सुधार हो जायेगा।

-:भोजन मेँ पोषक तत्वोँ की मात्रा बढ़ाए :-

* प्रोटीन , विटामिन B और C लो ब्लड प्रेशर को ठीक रखने मेँ मददगार होते हैँ।
ये पोषक तत्व एड्रीनल ग्रन्थि से निकलने वाले हार्मोनो के स्त्राव मेँ वृद्धि कर लो ब्लड प्रेशर को तेजी से सामान्य करते हैँ।

* रात के समय देशी चने भिगोकर रख देँ तथा सुबह नाश्ते मेँ खाएँ।
* सोफ्ट और स्लो म्यूजिक को 10 - 15 मिनट तक सुनना चाहिए।
* फल और दूध का सेवन करेँ।

* लो ब्लड प्रेशर के मरीजो के लिए पैदल चलना , साईकिल चलाना और तैरना जैसी कसरतेँ फायदेमंद साबित होती है।


इन सब के अलावा सबसे जरूरी यह है कि व्यक्ति तनाव और काम की अधिकता से बचे।



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शनिवार, 13 नवंबर 2010

वायरल, डेगूँ तथा चिकुनगुनिया से बचने का तरीका तथा प्रभावी इलाज

चिकुनगुनिया, डेँगूँ तथा वायरल से सभी लोग भयभीत है क्योँकि यह बीमारियाँ बहुत ही खतरनाक रूप लेती जा रही है।चिकुनगुनिया का वायरस शरीर मेँ प्रवेश करने के बाद 2 से 4 दिन का समय फैलने मेँ लेता है।


लक्षण :-
 (1.) सर्दी के साथ तेज बुखार जिसमेँ शरीर का ताप 39 डिग्री सेo
         या 102.96 डिग्री फारेo रहता है।
 (2.) इसमेँ पहले धड़ और फिर हाथोँ तथा पैरोँ पर चकते बन जाते हैँ।
(3.) माँसपेशियोँ मेँ दर्द के साथ सूजन।
(4.) सिर दर्द, पेट मेँ दर्द, प्रकाश से भय लगना तथा आँखोँ मेँ दर्द होना।

इसमेँ बुखार 2 से 3 दिन तक रहता है और फिर अचानक समाप्त हो जाता है। इसके उपरान्त काफी लम्बे समय तक जोड़ोँ मेँ दर्द तथा सूजन रहती हैँ।
इस रोग से रोगी का पूर्णतः
ठीक होना उसकी उम्र पर निर्भर करता है।

जवान लोग= 5 से 15 दिन मेँ
मध्य आयु वर्ग= 1 से ढाई महिने मेँ
बुजुर्ग वर्ग = 4 से 8 महिने मेँ
पूर्णतः ठीक हो पाते है। गर्भवती महिलाओँ पर इसका दुष्प्रभाव नहीँ देखा गया है।

बचने का उपाय :- इन रोगोँ से हम अपना बचाव भी कर सकते है। जब भी मौसम मेँ बदलाव होने लगे तथा ताप(Temprature) मेँ उतार- चढ़ाव होने लगे तभी से हमेँ इन बीमारियोँ से बचने के लिए निम्न प्रकार से इस नुस्खे का प्रयोग रोजाना लगातार करते रहना चाहिए। यह निरापद है तथा इसका कोई साईड ईफेक्ट नहीँ हैँ।

(1.) अजवाइन = 5gm.

(2.) अश्वागंधा = 5gm.

(3.) गिलोय पाऊडर = 4gm.

(4.) शिलाजीत सत् = 2 से 3 बूंद

इनमेँ से अजवाइन तथा गिलोय पाऊडर को रोज सुबह खाली पेट गुनगुने पानी से निगल लेँ। इसके आधे घण्टे पश्चात् अश्वगंधा तथा शिलाजीत सत को गुनगुने दूध से लेँ।


रात को सोते समय एक कप दूध मेँ 3gm हल्दी को ऊबालकर उसमेँ चीनी डालकर पियेँ। हल्दी Antibiotic होती है तथा वायरल के कीटाणुओँ (Virus) का भी नाश करने मेँ मदद करती है।


सिर दर्द, बदन दर्द, गले की खराश, जोड़ोँ के दर्द तथा थोड़ी सी भी थकान होते ही आप तुरन्त पेनक्लिर लेने के आदी बन चुके हैँ । ये पेनक्लिर बहुत ही हानिकारक हैँ । शोधोँ के द्धारा सिद्ध हो चुका है कि ये पेनक्लिर तेजी से प्लेटलेटस की संख्या को कम कर देती हैँ। अतः उपरोक्त किसी भी प्रकार के दर्द होने पर निम्न नुस्खा प्रयोग करेँ।


10 लौँग+ 10 काली मिर्च +थोड़ी सी दालचीनी + 4 चम्मच चीनी
इन सबको एक गिलास पानी मेँ डालकर एक चौथाई गिलास पानी शेष बचने तक धीमी आँच पर ऊबालेँ । इस प्रकार यह सिरप जैसा बन जायेगा। अब इसमेँ से 4-4 चम्मच सिरप को आठ घण्टे के अन्तर से पीते रहेँ। गले मेँ दर्द तथा खराश होने पर इसमेँ शेष बची हुई लौँग काली मिर्च तथा दालचीनी को मूहँ मेँ रखकर चूसेँ। इससे आपको आधा घण्टे मेँ आराम मिल जायेगा।


Ayurvedic Treatment :-

(1.) महासुदर्शन घन वटी = 1 गोली
(2.) मृत्युन्जय रस = 1 गोली
(3.) महा ज्वरान्कुश रस = 1 गोली
(4.) आनन्द भैरव रस = 1 गोली


सभी चारोँ गोली की 1 dose को गुनगुने पानी के साथ लेँ। इसी तरह से इसे पहले 3 दिन चार चार घण्टे के अन्तर से लेँ। इसके बाद 4 दिन तक छः छः घण्टे अन्तर से लेँ।


Homeopathic Treatment
:-

(1.) Kalmegh Q
(2.) Tinospora cardifolia Q
(3.) Chirayata Q
(4.) Ceasalpeania bondusela Q
(5.) Azadirachta indica Q

इन सभी पाँचोँ दवाओँ का एक साथ मिलाकर मिक्सचर बना लेँ। अब इसमेँ से 1 चम्मच दवाई को 4 चम्मच पानी मेँ मिलाकर चार चार घण्टे के अन्तर से प्रयोग करेँ।

अगर Infection ज्यादा उग्र रूप मेँ हो तो उपरोक्त मिश्रण मेँ Echinesia Q की 10 बूंद मिलाकर प्रयोग करेँ।

ध्यान देँ :- यह दवाईयाँ बैक्टेरियल, वायरल तथा फँगल इंफैक्शन मेँ बराबर कारगर हैँ। इन दवाई का प्रयोग करते समय तक पानी का प्रयोग ज्यादा करेँ।



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सोमवार, 8 नवंबर 2010

सर्दी व जुकाम का नई दवा से अब स्थायी इलाज संभव।

ठंड का मौसम शुरू होते ही सर्दी व जुकाम की समस्या आम हो जाती हैँ, लेकिन क्या आपको पता है कि अब आप इससे खुद को बचा सकते हैँ। यह संभव हो सका हैँ नई दवा की खोज से।


Scientists ने शरीर मेँ मौजूद एक ऐसी महत्वपूर्ण system की खोज करने मेँ सफलता पाई है, जिससे Coldness & winter vomiting जैसी समस्याओँ से निपटने मेँ शरीर खुद सक्षम हो सकेगा। इस उल्लेखनीय खोज से जहाँ अब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली(Immun System) को समझने मेँ मदद मिल सकेगी, वहीँ इसके माध्यम से सामान्य germs को भी दूर करने मेँ सहायता मिलेगी।
Specialists ने बताया कि अगले दशक तक ऐसे पाऊडर व गोलियाँ मार्केट मेँ मिल सकेँगी, जिनके द्धारा जुकाम के दौरान होने वाली कफ, छीँक व दर्द की समस्या को नोरोवायरस के द्धारा ठीक किया जा सकेगा।
Scientists के द्धारा खोजी गई इस महत्वपूर्ण दवा के द्धारा शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा क्षमता को cold virus से सुरक्षा के लिए और अधिक मजबूत किया जाता है, क्योँकि cold virus नाक, फेफड़े व पेट की कोशिकाओँ को न केवल संक्रमित करते हैँ बल्कि उसमेँ जगह बना लेते हैँ और वहीँ ब्रीडिँग भी करते हैँ। पहले ऐसा माना जाता था कि antibodies virus हमलोँ को झेल लेती हैँ और उन्हेँ कोशिकाओँ से बाहर फेँकने मेँ सक्षम होती हैँ। लेकिन ताजा रिपोर्ट मेँ पाया गया कि antibodies भी उसी वक्त कोशिकाओँ मेँ प्रवेश करती हैँ, जब virus कोशिकाओँ मेँ प्रवेश कर रहे होते हैँ और एक बार virus जब कोशिकाओँ के अन्दर प्रवेश कर जाते हैँ, उसके बाद ही antibodies श्रृंखलाबद्ध कोशिशोँ के जरिए virus को नष्ट करने मेँ सफल हो पाती हैँ।
रिपोर्ट कहती है कि कोशिकाओँ से virus को निकाल भगाने मेँ TRIM-21 नामक Protein कि महत्वपूर्ण भूमिका है, जिसकी सहायता से ही antibodies virus को निकालने मेँ सफल होती हैँ। TRIM-21 Protein, virus द्धारा क्षतिग्रस्त की गई कोशिकाओँ को शीघ्रता से दुरूस्त करने मेँ सक्षम है।
Scientists द्धारा बनाई गई नई दवा TREM-21 प्रोटीन लेवल मेँ वृद्धि करती है, जिससे Cold virus जैसे अन्य तमाम वायरसोँ के हमलोँ से भी कोशिकाओँ की रक्षा आसानी से की जा सकेगी।
शीर्ष शोधकर्ता डाँ. लियो जेम्स कहते हैँ कि TREM-21 की प्रचुरता से एंटीबाँडीज वैक्टीरिया से लड़ने मेँ शक्तिशाली हैँ, लेकिन बावजूद इसके कुछ एंटीवायरस दवाओँ का इस्तेमाल भी जरूरी है।



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