आजकल गली-चौराहे व
चौपाटियोँ पर जगह-जगह
रत्नोँ की दुकानेँ खुल गई हैँ।
विक्रेता रत्न के बारे मेँ जानेँ
या ना जानेँ, पर इस फायदे
मंद धंधे को अपनाने से पीछे
नहीँ हटते।
वे जानते हैँ कि आजकल
रातोँ-रात लखपति बनने के
सपने आदमी देखता है।
रोगमुक्त जीवन जीना
चाहता है। फिर इन रत्नोँ
की जानकारी चाशनीदार
भाषा मेँ रूपान्तरित कर
खरीदार के समक्ष पेश करने
मात्र से लाभ ही लाभ है तो
क्या बुरा है।
आपको बता देँ कि कोई भी
रत्न अच्छे जानकार से पूछे
बगैर धारण न करेँ। बिना
सोचे-समझे पहननेँ पर
संभवतः आपको हानि ही
हाथ लगेगी।
आइए आपको रत्नोँ की
संक्षिप्त जानकारी देँ :-
1.
माणिक्य :- यह सिँह
राशि का रत्न है जो सूर्य के
दोषोँ को दूर करता है।इसके
अलावा यह सिर, हृदय, पेट
व नेत्रोँ पर प्रभाव डालता
है। इससे ब्लड प्रैशर,
मधुमेह जैसी बीमारियोँ मेँ
लाभ पहुँचाता है। इसके
अलावा पीठ मेँ उत्पन्न पीड़ा , वातविकार, कर्ण रोग मेँ
प्रभाव दिखाता है।
2.
नीलम :- यह कुंभ व
मकर राशि का रत्न है। यह
शनि पीड़ा को शांत करता
है। इस रत्न को धारण करने
से दाम्पत्य सुख मेँ वृद्वि,
टयुमर, घुटनोँ का दर्द, जोड़ोँ
का दर्द, घाव मेँ सड़न, श्वास
व अंडकोष की बीमारी जैसे
कष्ट दूर होते हैँ।
3.
मोती :- यह चंद्र रत्न है।
अतः कर्क राशि वालोँ के
लिए फायदेमंद है। यह
त्वचा रोग, पेट संबंधी
बीमारी, श्वास रोग,
मस्तिष्क रोग मेँ लाभकारी है।
4.
पुखराज :- यह धनु राशि
का रत्न है। गुरू के दोष को
शांत करने के लिए इसे
धारण किया जाता है। यह
दांपत्य जीवन को सुखमय
एवं कुछ बीमारियोँ मेँ जैसे
गर्भाशय, सैक्स अंगोँ,
किडनी, लीवर, घुटने,
कोहनी के दर्द, गैस, मुत्र
विकार, हड्डियोँ का दर्द दूर
कर लाभ पहुँचाता है। इसके
अलावा गुस्से को शांत करने
की क्षमता भी है इसमेँ।
5.
गोमेद :- जो यूरेनस के
कारण कष्टमय जीवन जी
रहे हैँ, वे इसे धारण कर
सकते हैँ। इसके अलावा 4
अंक वाल (जिनका जन्मांक
4 हो) इसे धारण कर
मस्तिष्क, श्वास, मूत्र,यौनांग,
पेट, हृदय तथा तंत्रिकाओँ
संबन्धी समस्या से बच
सकते हैँ।
6.
पन्ना :- यह कन्या राशि
वालोँ का शुभ रत्न है। इसके
अलावा मूलांक 5 वाले भी
इसे धारण कर सकते हैँ।
यह रत्न बुध का प्रतीक है।
यह दिमागी विकृति, कर्ण
रोग तथा दृष्टि दोष दूर
करने मेँ सहायक है।
7.
हीरा :- मूलांक 6 एवं
तुला राशि वालोँ के लिए
यह रत्न उपयोगी है। शुक्र
ग्रह दोष नाशक रत्न है।
इससे रत्न चिकित्सक शुक्र
दोष (शुक्राणुओँ की कमी),
नशापान तथा चर्मरोग दूर
करते हैँ।
8.
लहसुनिया :- यह मीन
राशि एवं मुलांक 7 वालोँ
का मुख्य रत्न है। इससे केतु
के प्रभाव मेँ शांति मिलती है।
इसे धारण कर आप चमड़ी के रोग, पाचन विकार, रक्त
विकार, आमाशय एवं दृष्टि
विकार से बच सकते हैँ।
यह शरीर मेँ स्फूर्ति प्रदान
करने वाला रत्न है।
9.
मूंगा :- यह वृश्चिक एवं
मूलांक 9 वालोँ के लिए
अति उत्तम रत्न है। मंगल
का प्रतीक यह रत्न घाव,
छाले, हड्डी व जोड़ोँ के रोग,
आँतविकार, रक्त दोष,
पाचक अंगोँ के दोष तथा
टयूमर, कैँसर जैसी घातक
बीमारियोँ को दूर करता है।
रत्न धारण करने से पूर्व
किसी अच्छे रत्न चिकित्सक
से मिलेँ, तभी उसे धारण
करेँ वरना सड़क पर कई
अज्ञानी अपना-अपना
बखान करते मिल जाते हैँ,
जो आपके लिए घातक सिद्व
हो सकते हैँ।