बुधवार, 17 अगस्त 2011

ग्वारपाठा(घृतकुमारी) पेट तथा स्किन के लिए रामबाण

ग्वारपाठा या घृतकुमारी(एलोवेरा) को 20gm. मात्रा मेँ लेकर 20ml. पानी के साथ मिक्सी मेँ जूस बनाकर रख लेँ। इसी तरह रोजाना ताजा जूस बनायेँ। सेवन मात्रा :- 20ml. सुबह खाली पेट और 20ml. रात को सोते समय। उपयोग :- आँतोँ की सूजन, अपेँडिक्स, खूनी एवं बादी बवासीर, कब्ज, फोड़े-फुंसी, कील-मुहासे, पित्त और कफ की बीमारी । एक सप्ताह मेँ ही इन समस्याओँ मेँ आराम आने लगता है । -: MY OTHER BLOGS :- > SANSAR (Ghazals) > प्रेरक-विचार > बचत और निवेश...

सोमवार, 15 अगस्त 2011

चाइनीज कैलेंडर कैसे काम करता है

चाइनीज गर्भावस्था कैलेंडर को बहुत ही ऐतिहासिक माना जाता है और यह लगभग 700 साल पुराना भी माना जा रहा है । हर गर्भवती महिला में इस बात को लेकर भी उत्साह रहता है कि उसका होने वाला बच्चा लड़का होगा या लड़की। आज चीनी कैलेंडर का प्रयोग होने वाले बच्चें का लिंग पता करने में किया जा रहा है। चाइनीज कैलेंडर में यह बात ध्यान में रखी जाती है कि गर्भधारण के दौरान मां की लूनर एज क्या थी । होने वाले बच्चे के लिंग का पता करने के लिए यह बहुत ही जानी मानी पद्धति है। चीनी कैलेंडर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि सबसे पहले बेजिंग में स्थित विज्ञान संस्थान में इसकी खोज हुई। कुछ लोगों का कहना है कि यह चार्ट पेकिंग के पास टांब में मिला और अब...

शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

दिल का अब कुछ नहीँ बिगाड़ेगा दौरा

दिल के दौरे या स्ट्रोक से दिलोदिमाग के टिश्यु को होने वाले नुकसान को अब काफी हद तक रोका जा सकेगा । Scientists ने ऐसी दवा खोजने का दावा किया है , जिसे समय रहते देने पर टिश्यु को होने वाले नुकसान को 60 प्रतिशत तक रोका जा सकेगा । इस दवा का इस्तेमाल ऐसी सर्जरी के दौरान भी किया जा सकेगा, जिसमेँ टिश्युज को ज्यादा नुकसान हो सकता है । दिल का दौरा या स्ट्रोक पड़ने पर दिल या दिमाग के टिश्युज को आँक्सीजन और पोषक तत्वोँ की सप्लाई रूक जाती है । इससे टिश्युज क्षतिग्रस्त होने लगते हैँ । इन पर कहर तब टूटता है , जब दवाओँ आदि के जरिए खून की सप्लाई को बहाल किया जाता है । इसके बहाल होते ही शरीर की प्रतिरक्षण प्रणाली इन क्षतिग्रस्त टिश्युज को 'दुश्मन' मानते हुए...

उमस और गर्मी से आँखेँ बीमार

आमतौर पर अगस्त के महिने से कंजंटिवाइटिस का संक्रमण शुरू हो जाता है । दरअसल , इस महिने मेँ बारिश और उमस के चलते बैक्टीरिया-वायरस का संक्रमण बढ़ जाता है । यही वजह है कि लोगोँ की आँखेँ भी बीमार होने लगती हैँ । यह बीमारी एक मरीज से दूसरे व्यक्ति को आसानी से संक्रमित करती है । इसलिए संक्रमित मरीज से दूरी बनाए रखेँ । ये बैक्टीरिया हैँ जिम्मेदार :- > नाइसीरिया गोनोरिया > स्टेफ्लोकोकस > स्टेपटोकोकस लक्षण (Symtoms) :- * आँखोँ मेँ दर्द । * आँखोँ मेँ गुलाबी या लालीपन । * आँखोँ से पानी बहना । * धुंधला दिखाई देना । * आँखेँ चिपकती हैँ । * वायरल संक्रमण मेँ आँखो के कंजंटाइवा मेँ रक्त के थक्के जम सकते हैँ । *...

 
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