फैलोपियन टयूब के विकारग्रस्त होने से निःसंतान होना एक व्यक्तिगत समस्या है , किन्तु जिसके जीवन मेँ यह होती वह मानसिक और सामाजिक रूप से टूट जाता है । एक अनुमान के अनुसार दस मेँ से एक दंपति इस समस्या से ग्रस्त हैं ।
इस प्रकार के बांझपन (इनफर्टिलिटी) के लिए मोटे तौर पर एक तिहाई मामलोँ मेँ महिलाएँ , एक तिहाई मेँ पुरूष और शेष मेँ दोनोँ जिम्मेदार हो सकते हैँ । जहाँ तक महिलाओँ की बात है तो उनमेँ बांझपन का एक प्रमुख कारण फैलोपियन टयूब की गड़बड़ी है । 25 से 30 प्रतिशत महिलाओँ मेँ बांझपन का कारण फैलोपियन टयूब का अवरूद्ध (ब्लाँक्ड) होना या उसमे किसी प्रकार का विकार का पाया जाना है ।
जहाँ तक गर्भ ठहरने की बात है तो महिलाओँ मेँ ओवरी ( Overy) से अंडाणु का उत्पादन होता है । ये अंडाणु फैलोपियन टयूब के रास्ते गर्भाशय मेँ जाते हैँ , जहाँ उनका मिलन शुक्राणुओँ से होता है और इसके बाद ही गर्भ ठहरता है ।
-: बिमारी का स्वरूप :-
जहाँ तक फैलोपियन टयूब मेँ खराबी की बात है तो इसका एक सिरा ओवरी के पास होता है तो दूसरा सिरा गर्भाशय मेँ खुलता है । ओवरी वाले सिरे पर उंगलियोँ के आकार की संरचनाएँ पायी जाती हैँ जो ओवरी से निकलने वाले अंडाणु को टयूब के अन्दर पहुँचाती हैँ । यहाँ पर टयूब की लाइनिँग महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । इसी टयूब के अन्दर अंडाणु को पोषण मिलता है और ऐसा वातावरण भी मिलता है कि वह शुक्राणु से मिल सके । टयूब की लाइनिँग इसके अन्तिम सिरे पर होती है । यहीँ पर अंडा निषेचित (फर्टिलाइज्ड) होता है और पाँच दिनोँ मेँ यह निषेचित अण्डाणु गर्भाशय मेँ पहुचँकर उसकी लाइनिँग से जुड़कर बड़ा होने लगता है
-: विकार का कारण :-
फैलोपियन टयूब मेँ आने वाले विकार के कारणोँ मेँ संक्रमण जैसे - टी.बी , एंडोमेट्रियोसिस , क्लेमाइडिया हाइड्रोसाल्पिँक्स , एक्टोपिक प्रेग्नेन्सी आदि कारण हैँ ।
-: उपचार :-
* अगर फैलोपियन टयूब बच्चेदानी के पास से अवरूद्ध है , तो खराब टयूब के भाग को हटाकर अच्छी टयूब टयूब के भाग को बच्चेदानी से जोड़ा जाता है । इसके अलावा बच्चेदानी के रास्ते से ' कैनुला ' डालकर खोला जा सकता है ।
* टयूब के ओवरी के सिरे से बंद होने की स्थिति मेँ लैप्रोस्कोपी के द्धारा टयूब के ' फिब्रिया ' को खोला जा सकता है और आसपास मौजूद जाला और झिल्ली को साफ किया जा सकता है ।
* यदि टयूब मेँ पानी या रक्त भरा हो तो भी उसे साफ कर टयृब खोली जा सकती है ।
* अधिकतर मामलोँ मेँ ऐसा देखा गया है कि टयूब मेँ संक्रमण या जाले बनने के शुरूआती दौर मेँ ही लैप्रोस्कोपी के माध्यम से जाँच व उपचार कर 'IUI' तकनीक के द्धारा गर्भ ठहरने से संबंधित इलाज किया जाता है , किन्तु यदि संक्रमण पुराना है और उसके कारण टयूब का ज्यादातर भाग खराब हो तब 'IUI' तकनीक सफल नहीँ होती । ऐसे मे ' आई वी एफ ' या इक्सी (टेस्ट टयूब बेबी) तकनीक का प्रयोग कर गर्भ ठहराया जाता है ।
डाँ. मधु लूम्बा
वरिष्ठ स्त्री रोग
व इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट
mrsanchar@yahoo.com
-: MY OTHER BLOGS :-
> SANSAR(Ghazals)
> प्रेरक-विचार
> बचत और निवेश
इस प्रकार के बांझपन (इनफर्टिलिटी) के लिए मोटे तौर पर एक तिहाई मामलोँ मेँ महिलाएँ , एक तिहाई मेँ पुरूष और शेष मेँ दोनोँ जिम्मेदार हो सकते हैँ । जहाँ तक महिलाओँ की बात है तो उनमेँ बांझपन का एक प्रमुख कारण फैलोपियन टयूब की गड़बड़ी है । 25 से 30 प्रतिशत महिलाओँ मेँ बांझपन का कारण फैलोपियन टयूब का अवरूद्ध (ब्लाँक्ड) होना या उसमे किसी प्रकार का विकार का पाया जाना है ।
जहाँ तक गर्भ ठहरने की बात है तो महिलाओँ मेँ ओवरी ( Overy) से अंडाणु का उत्पादन होता है । ये अंडाणु फैलोपियन टयूब के रास्ते गर्भाशय मेँ जाते हैँ , जहाँ उनका मिलन शुक्राणुओँ से होता है और इसके बाद ही गर्भ ठहरता है ।
-: बिमारी का स्वरूप :-
जहाँ तक फैलोपियन टयूब मेँ खराबी की बात है तो इसका एक सिरा ओवरी के पास होता है तो दूसरा सिरा गर्भाशय मेँ खुलता है । ओवरी वाले सिरे पर उंगलियोँ के आकार की संरचनाएँ पायी जाती हैँ जो ओवरी से निकलने वाले अंडाणु को टयूब के अन्दर पहुँचाती हैँ । यहाँ पर टयूब की लाइनिँग महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । इसी टयूब के अन्दर अंडाणु को पोषण मिलता है और ऐसा वातावरण भी मिलता है कि वह शुक्राणु से मिल सके । टयूब की लाइनिँग इसके अन्तिम सिरे पर होती है । यहीँ पर अंडा निषेचित (फर्टिलाइज्ड) होता है और पाँच दिनोँ मेँ यह निषेचित अण्डाणु गर्भाशय मेँ पहुचँकर उसकी लाइनिँग से जुड़कर बड़ा होने लगता है
-: विकार का कारण :-
फैलोपियन टयूब मेँ आने वाले विकार के कारणोँ मेँ संक्रमण जैसे - टी.बी , एंडोमेट्रियोसिस , क्लेमाइडिया हाइड्रोसाल्पिँक्स , एक्टोपिक प्रेग्नेन्सी आदि कारण हैँ ।
-: उपचार :-
* अगर फैलोपियन टयूब बच्चेदानी के पास से अवरूद्ध है , तो खराब टयूब के भाग को हटाकर अच्छी टयूब टयूब के भाग को बच्चेदानी से जोड़ा जाता है । इसके अलावा बच्चेदानी के रास्ते से ' कैनुला ' डालकर खोला जा सकता है ।
* टयूब के ओवरी के सिरे से बंद होने की स्थिति मेँ लैप्रोस्कोपी के द्धारा टयूब के ' फिब्रिया ' को खोला जा सकता है और आसपास मौजूद जाला और झिल्ली को साफ किया जा सकता है ।
* यदि टयूब मेँ पानी या रक्त भरा हो तो भी उसे साफ कर टयृब खोली जा सकती है ।
* अधिकतर मामलोँ मेँ ऐसा देखा गया है कि टयूब मेँ संक्रमण या जाले बनने के शुरूआती दौर मेँ ही लैप्रोस्कोपी के माध्यम से जाँच व उपचार कर 'IUI' तकनीक के द्धारा गर्भ ठहरने से संबंधित इलाज किया जाता है , किन्तु यदि संक्रमण पुराना है और उसके कारण टयूब का ज्यादातर भाग खराब हो तब 'IUI' तकनीक सफल नहीँ होती । ऐसे मे ' आई वी एफ ' या इक्सी (टेस्ट टयूब बेबी) तकनीक का प्रयोग कर गर्भ ठहराया जाता है ।
डाँ. मधु लूम्बा
वरिष्ठ स्त्री रोग
व इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट
mrsanchar@yahoo.com
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> बचत और निवेश