शरीर के लिए डीटाँक्सिफिकेशन उतना ही जरूरी है , जितना घर के लिए सफाई। आप इन टिप्स को फाँलो करके तन-मन साफ रख सकते हैँ :
माँडर्न लाइफस्टाइल की वजह से बाँडी कई तरह के विषैले पदार्थोँ यानी टाँक्सिँस के प्रभाव मेँ आ जाती है । इससे बाँडी सुस्त रहती है और सिस्टम भी ढीला पड़ जाता है । जाहिर है , इससे काम पर इफेक्ट पड़ता है । ऐसे मेँ बाँडी को रेग्युलर डीटाँक्सिफाई करना चाहिए यानी ऐसी डाइट लेँ , जिससे बाँडी से टाँक्सिँस निकल जाएँ ।
क्योँ करेँ डीटाँक्स :- बाँडी मेँ जब विषैले पदार्थ इकटठे होते हैँ , तब काम करने की कैपेसिटी कम हो जाती है । इससे दिमाग भी थका हुआ महसूस करता है और आप पूरी तरह रीलैक्स फील नहीँ कर पाते हैँ । बाँडी मेँ टाँक्सिँस के जमा होने से और भी कई तरह की परेशानियां हो सकती हैँ । मसलन सेल्स मेँ इनके जमा होने से इम्युनिटी सिस्टम कमजोर हो सकता है , जिससे जुकाम , खांसी , लगातार छीँकेँ आती हैँ । इनसे बचने के लिए डीटाँक्सिफिकेशन तो जरूरी है ही , इसी के साथ डाइट कंट्रोल , एक्सरसाइज , मसाज , रीफलैक्सोलजी , ब्रीदिँग टेक्नीक , मेडिटेशन वगैरह भी जरूरी है ।
ये हैँ फायदे :- डिटाँक्सिफिकेशन स्टेमिना बढ़ाने का बेहतर तरीका है । इससे आप लाइट , फ्री और फ्रेश महसूस करेँगे । इससे होने वाले तमाम फायदोँ मेँ स्किन व काँम्प्लेक्शन का अच्छा होना, इम्युनिटी सिस्टम का स्ट्राँन्ग होना, पाचन क्षमता का बढ़ना, स्टेमिना और एनर्जी लेवल बढ़ना, मेटाबाँलिज्म का इंप्रूव होना वगैरह हैँ ।
डीटाँक्सिफिकेशन मे ली जाने वाली डाइट से हानिकारक पदार्थ बाहर निकल जाते हैँ और पूरी बाँडी का सिस्टम क्लीन हो जाता है । इस दौरान सबसे ज्यादा इफेक्ट डाइजेस्टिव सिस्टम पर पड़ता है, क्योँकि रिलीफ होने का पूरा टाइम मिलता है । इस प्रोसेस के दौरान फाइबर रिच डाइट मसलन फ्रूट्स, वेजिटेबल और साबुत अनाज ज्यादा लेँ वहीँ, लिक्विड मेँ फ्रूट जूस, वेजिटेबल जूस और सूप ही लेँ । इस दौरान स्मोकिँग, अल्कोहल, काँफी वगैरह ना लेँ । साथ ही, रेड मीट, फैट्स और शुगर जैसी चीजों से परहेज करेँ । दो से तीन दिन तक शाँर्ट व हल्की डाइट लेँ ।
डीटाँक्सिफिकेशन की साइकल हफ्ते मेँ एक दिन और महिने मेँ तीन दिन ही करेँ । अगर आप लंबे टाइम तक डीटाँक्सिफिकेशन डाइट लेना चाहते हैँ, तो डाइटिशियन की सलाह जरूर ले लेँ ।
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